ज्योतिष में मंगल को सेनापति का दर्जा दिया गया है। मंगल ग्रह की मूलभूत प्रकृति प्रजनन और कायाकल्प है। मंगल ग्रह से प्रभावित व्यक्ति का स्वभाव तीक्ष्ण, क्रोधी तथा साहसिक होता है। मंगल का वर्ण रक्त होता है एवं यह पित्त का कारक ग्रह है। ज्योतिष में मंगल तमोगुणी तथा पुरुष जाति का होता है। किसी भी जातक की जन्मकुंडली में यदि मंगल अपने ही राशि का है एवं केंद्र या त्रिकोण में शुभ स्थिति में है, या उच्च का है, तो वैसा जातक अवश्य ही समाज में मान-सम्मान तथा यश को प्राप्त करेगा। मंगल ग्रह अगर आप पर मेहरबान हो जाए तो जीवन में हर ओर मंगल ही मंगल होता है, लेकिन कमजोर या अशुभ हो जाए तो आपकी जिंदगी मे अमंगल का विष घोल देता है।
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मंगल ग्रह शांति के लिए अनेक उपाय बताये गये हैं। यदि आप मंगल के अशुभ प्रभाव से पीड़ित हैं तो नीचे दिए गए उपाय अवश्य करें। यह सभी आजमाए हुए फलित उपाय है।
- मंगल के समस्त अरिस्टों के नाश के लिए मंगलवार व्रत सहित मंगल यंत्र का विधिवत अनुष्ठान करना चाहिए।
- समर्थ गुरु के निर्देशन में बटुक भैरव मंत्र का प्रयोग पापाक्रांत या नीच राशि स्थित मंगल के लिए अमोघ है।
- संयमी एवं शुद्ध चरित्र व्यक्ति मंगल की अनिष्ट शांति हेतु हनुमान जी की साधना भी कर सकता है।
- मंगल की दशा अंतर्दशा में आचार्य शंकर कृत भुजंग स्त्रोत या कार्तिकेय स्त्रोत का पाठ करना लाभदायक होता है। इसके साथ ही 11 प्रदोष व्रत में रुद्राभिषेक करना चाहिए।
- शत्रु बाधा अथवा अभिचार पीड़ा की शांति हेतु भगवती प्रत्यंगिरा अथवा पीतांबरा के हवन पूजन का कार्यक्रम करना चाहिए।
- वंश वृद्धि के लिए मूंगा युक्त मंगल यंत्र प्राण प्रतिष्ठित कर उसका विधिवत पूजन करके उसे धारण करना चाहिए।
- अनिष्ट मंगल की शांति के लिए किसी कुशल ज्योतिषी से परामर्श लेकर लाल मूंगा अपने दाहिने हाथ की सबसे पवित्र अंगुली अनामिका मैं धारण करें।
- ऋण और धन-नाश की स्थिति में ऋण मोचक अंगारक स्त्रोत एवं बाल्मीकि रामायण के सुंदरकांड का पाठ लाभदायक होता है।
- कन्याओं को मंगली दोष में श्रीमद्भागवत के 18वें अध्याय के नवम श्लोक का जप करना चाहिए।
- रक्त पुष्पों से मंगल की पूजा व तुलसीकृत रामायण के सुंदरकांड के पाठ सहित गौरी पूजन विशेष लाभप्रद होता है।
- मंगल पीड़ा में बजरंग बाण एवं हनुमान जी के मंदिर में दीपदान से विशेष लाभ होता है।
- लक्ष्मी स्त्रोत, देवी कवच, गणपति स्त्रोत अथवा ऋण मोचन मंगल स्त्रोत में से किसी भी एक के नियमित पाठ से अशुभ मंगल की शांति होती है।
- ताम्रपत्र में जल पीवें एवं गुड़ का दान करें।
- मसूर की दाल तथा गुण अवश्य मंगलवार के दिन ग्रहण करें।
- भगवान गणेश की मूर्ति दर्शन एवं पूजन करें।
- लाल पुष्पों को बहते हुए जल में प्रवाहित करें एवं देवी भगवती का भजन-पूजन करें।
- तुलसी के पौधे में जल चढ़ावे एवं तुलसी पत्र का भक्षण करें। काली मिर्च भी खाएं।
- मंगलवार का नियमित 28 बार व्रत रखना चाहिए। ध्यान रहे कि इस व्रत का नियम बीच में ना टूटे, कार्य सिद्ध होने पर मंगल का उद्यापन जरूर करना चाहिए।
- महागायत्री का पाठ करना, हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाना एवं खुद भी हनुमान जी के पैरों के नीचे बहे हुए सिंदूर को लगाना मंगल ग्रह को शांत करता है।
- मसूर दाल, शहद, सिंदूर आदि का दान या बहते हुए जल में प्रवाहित करना।
- जौ को गाय के पेशाब में धोकर लाल कपड़े में बांधकर रखना चाहिए।
- लाल रुमाल अपने पास रखना एवं शुद्ध चांदी धारण करना।
- मंगल अशुभ होने पर बेलफल, जटामासी, मूसली, बकुलचन्दन मिलाकर 8 मंगलवार तक स्नान करें।
- हरिवंश पुराण के अनुसार अशुभ मंगल वाले जातक को महारुद्र या अतिरुद्र यज्ञ कराना चाहिए।
इस तरह आप मंगल ग्रह की शांति के उपाय करके मंगल ग्रह की शांति कर सकते है. कुंडली में दूसरे ग्रहों की शांति के उपाय जानने के लिए हमारी ग्रहों की शांति के उपाय की सूची को देखिये
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