शास्त्र में केतु ग्रह को पापी ग्रह मन जाता है। इस ग्रह का अपना कोई अस्तित्व नहीं होता, इसीलिए यह जिस ग्रह के साथ बैठ जाता हैं, उसी के अनुसार अपना प्रभाव देने लगता हैं। केतु का अर्थ होता है पूंछ, अतः इसे तर्क, कल्पना और मानसिक गुणों आदि का कारक कहा जाता है। केतु हानिकारक और लाभकारी दोनों तरह के प्रभाव देता है। एक ओर जहां यह हानि और कष्ट देता है, वहीं दूसरी ओर व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति के शिखर तक लेकर जाता है।
अपनी जन्म कुंडली से जाने आपके 15 वर्ष का वर्षफल, ज्योतिष्य रत्न परामर्श, ग्रह दोष और उपाय, लग्न की संपूर्ण जानकारी, लाल किताब कुंडली के उपाय, और अन्य जानकारी, अपनी जन्म कुंडली बनाने के लिए यहां क्लिक करें।
केतु ग्रह शांति के लिए अनेक उपाय बताये गये हैं। यदि आप केतु के अशुभ प्रभाव से पीड़ित हैं तो नीचे दिए गए उपाय अवश्य करें। यह सभी आजमाए हुए फलित उपाय है।
- केतु के अशुभ प्रभाव के शमन के लिए भगवान गणपति की उपासना सर्वोत्तम मानी गई है। भगवान गणेश के किसी भी मंत्र के अनुष्ठान से केतु के अशुभ प्रभावों में शांति मिलती है।
- किसी व्यक्ति के जन्मांग में कालसर्प योग की दुर्भाग्य कारक स्थिति हो तो उन्हें एक वर्ष में नियमित संकट चतुर्थी के व्रत सहित गणपति मंत्र और अथर्वशीर्ष का जप एवं यथाशक्ति हवन करना चाहिए।
- केतु के वैदिक एवं तांत्रिक मंत्र का जाप करें एवं भगवान गणेश के नित्य दर्शन करें।
- गणेश द्वादश नाम स्तोत्र का पाठ करने से केतु शांत होता है।
- मंदिर के बाहर बैठे हुए भिखारियों को यथाशक्ति दान दें तथा मछलियों एवं चीटियों को आटा खिलाएं।
- केतु शांति के लिए दो रंग का कंबल किसी गरीब को दान करें।
- पीपल वृक्ष की प्रदक्षिणा करें एवं नाग प्रतिष्ठा भी करें। जो महिलाओं केतु के सप्तम या अष्टम प्रभाव से आक्रांत हैं उन्हें यह अवश्य करना चाहिए।
- नीम का एक वृक्ष अपने हाथ से लगाना चाहिए।
- केतु द्वादश नाम का नित्य पाठ करते रहना चाहिए।
- राहु-केतु के दोष निवारण हेतु सर्पाकृति की चांदी की अंगूठी धारण करना चाहिए।
- हाथीदांत से बनी वस्तुओं का व्यवहार या स्नान के जल में डालकर उस जल से स्नान करना चाहिए। इससे केतु के अशुभ प्रभाव में शांति मिलती है।
- भगवती छिन्नमस्ता चंडी उपासना सभी दुष्प्रभावों का नाश करती है।
- केतु को प्रसन्न करने हेतु लहसुनियायुक्त केतु-यंत्र गले में धारण करें।
- दहेज में चारपाई एवं सोने की अंगूठी जरूर लेना।
- कपिल गाय का दान देना या सेवा करना। गौशाला में प्रतिदिन गाय को चारा डालना।
- तिल, नींबू, केला आदि का दान देना या जल में प्रवाहित करना।
- निवार-सुतली (चारपाई बुनने के लिए) पड़ी हो तो चारपाई बुनवा ले या घर से निकाल दें।
- काले कुत्ते को भोजन का हिस्सा देना या काला कुत्ता पालना।
- दोरंगा होलादरी पत्थर पहनना या हकीक धारण करना।
- खटाई वाली चीजें लड़कियों को खिलाना एवं चाल-चलन ठीक रखना।
- काले एवं सफेद तिल को जल में प्रवाहित करना।
- केतु पीड़ा की विशेष शांति हेतु बला, लाजा, मूसली, नागर मोथा, सरसों, हल्दी एवं लोध मिलाकर आठ मंगलवार तक स्नान करना।
- हरिवंश पुराण के अनुसार केतु के दुष्प्रभाव से पीड़ित जातक को कपिलवर्ण गाय का दान करना चाहिए।
इस तरह आप केतु ग्रह की शांति के उपाय करके केतु ग्रह की शांति कर सकते है. कुंडली में दूसरे ग्रहों की शांति के उपाय जानने के लिए हमारी ग्रहों की शांति के उपाय की सूची को देखिये
- सूर्य देव शांति के उपाय
- चंद्रमा देव शांति के उपाय
- मंगल देव शांति के उपाय
- बुध देव शांति के उपाय
- गुरु देव शांति के उपाय
- शुक्र देव शांति के उपाय
- शनि देव शांति के उपाय
- राहु देव शांति के उपाय
- केतु देव शांति के उपाय
दोस्तों हम उम्मीद करते हैं कि आप केतु ग्रह शांति के उपाय को समझ गए होंगे। अगली बार जब आप केतु ग्रह शांति के उपाय के बारे में सुनते हैं, तो आपको कोई भी सवाल नहीं आना चाहिए। आज के लिए बस इतना ही, आगे भी हम आपको देवी देवताओ की जानकारी जैसे मंत्र, श्लोक, स्तोत्र, आरती, कवच आदि; ज्योतिष शास्त्र से संबंधित जानकारियां, रत्न और रुद्राक्ष से संबंधित जानकारियां उपलब्ध कराते रहेंगे।
आप हमसे हमारे सोशल मीडिया पर भी जुड़ सकते है।
Facebook – @kotidevidevta
Youtube – @kotidevidevta
Instagram – @kotidevidevta
Twitter – @kotidevidevta
नवग्रह के रत्न और रुद्राक्ष से जुड़े सवाल पूछने के लिए हमसे संपर्क करें यहाँ क्लिक करें
अपनी जन्म कुंडली से जाने आपके 15 वर्ष का वर्षफल, ज्योतिष्य रत्न परामर्श, ग्रह दोष और उपाय, लग्न की संपूर्ण जानकारी, लाल किताब कुंडली के उपाय, और अन्य जानकारी, अपनी जन्म कुंडली बनाने के लिए यहां क्लिक करें।
नवग्रह के नग, नेचरल रुद्राक्ष की जानकारी के लिए आप हमारी साइट Gems For Everyone पर जा सकते हैं। सभी प्रकार के नवग्रह के नग – हिरा, माणिक, पन्ना, पुखराज, नीलम, मोती, लहसुनिया, गोमेद मिलते है। 1 से 14 मुखी नेचरल रुद्राक्ष मिलते है। सभी प्रकार के नवग्रह के नग और रुद्राक्ष बाजार से आधी दरों पर उपलब्ध है। सभी प्रकार के रत्न और रुद्राक्ष सर्टिफिकेट के साथ बेचे जाते हैं। रत्न और रुद्राक्ष की जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें।