गुरु ग्रह शांति के उपाय ज्योतिष में गुरु ग्रह बृहस्पति को “देव गुरु” कहा गया है। गुरु ग्रह को धर्म, दर्शन, ज्ञान और संतान का कारक माना जाता है। ज्योतिष में बृहस्पति की अनुकूल स्थिति से धर्म, दर्शन और संतान की प्राप्ति होती है। गुरु को वैदिक ज्योतिष में आकाश तत्व का कारक माना गया है। इसका गुण विशालता, विकास, व्यक्ति की प्रकृति और जीवन में विस्तार का संकेत होता है। गुरु ग्रह के अशुभ प्रभाव से संतान प्राप्ति में बाधा, पेट से संबंधित बीमारी और मोटापा आदि परेशानी होती है।
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गुरु ग्रह से संबंधित कई उपाय हैं, जिन्हें करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। यदि आप गुरु के अशुभ प्रभाव से पीड़ित हैं तो नीचे दिए गए उपाय अवश्य करें। यह सभी आजमाए हुए फलित उपाय है।
- गुरु ग्रह के कारण उत्पन्न समस्त अरिष्टों के संबंध के लिए रुद्राष्टाध्यायी एवं शिव सहस्त्रनाम का पाठ अथवा नित्य रुद्राभिषेक करना अमोघ है।
- वैदिक या तांत्रिक गुरु मंत्र का जप तथा स्त्रोत पाठ अथवा भगवान दत्तात्रेय के तांत्रिक मंत्र का अनुष्ठान भी लाभप्रद होता है।
- सौभाग्यवश जो लोग किसी समर्थ गुरुदेव की शरण में हैं, वे नित्य गुरु पूजन एवं गुरु ध्यान करने से समस्त भौतिक एवं अभौतिक तापों से निवृत्त हो जाते हैं।
- प्रश्नमार्ग के अनुसार गुरु महाविष्णु का प्रतिनिधित्व करते हैं। अतः कम से कम पुरुष सूक्त का जप और हवन करना अथवा सुदर्शन होम भी कल्याणकारी होता है।
- अधिक न कर सके तो मासिक सत्यनारायण व्रत कथा एवं गुरुवार या एकादशी का व्रत ही कर लें।
- राहु, मंगल आदि क्रूर एवं पाप ग्रहों से दूषित गुरु कृत संतान बाधा योग में शतचंडी यज्ञ अथवा हरिवंश पुराण का अनुष्ठान करें।
- ब्राह्मण एवं देवता का सम्मान, सदाचरण, फलदार वृक्ष लगवाने एवं फलों के दान विशेषकर केला, नारंगी, पीले फल से बृहस्पति देव प्रसन्न होते हैं।
- जिन स्त्रियों के विवाह में गुरु कृत बाधा से विलंब हो रहा है, उन्हें उत्तम पुखराज धारण करना चाहिए तथा केला या पीपल के वृक्ष का पूजन करना चाहिए।
- गुरु को बलवान करने एवं धन प्राप्ति हेतु पुखराज युक्त गुरु-यंत्र धारण करना चाहिए।
- चमेली के पुष्प 9 अथवा 12 लेकर उन्हें जल में प्रवाहित करें।
- पीले कनेर के पुष्प गुरु प्रतिमा पर चढ़ाएं।
- गुरु लीलामृत का पठन-पाठन करें एवं 13 या 21 गुरुवार व्रत रखें।
- भगवान दत्तात्रेय का विधिवत पूजन करें एवं कुछ स्वर्ण दान करें।
- स्वर्ण जल का पान करें, स्वर्ण जल से तात्पर्य ऐसे जल से है जिसमें स्वर्ण को डुबोया गया हो।
- पीत वस्त्रों का दान करें एवं स्वर्ण जल से स्नान करें।
- पुखराज धारण करना, पुखराज के अभाव में हल्दी की गांठ को पीले रंग के कपड़े में बांधकर दायीं भुजा में बांधना।
- चांदी की कटोरी में केसर/हल्दी का तिलक करना।
- शुद्ध सोना धारण करना एवं नाभि पर कैसर लगाना।
- ब्राह्मण, कुल पुरोहित या साधु की सेवा करना।
- गरुण पुराण का पाठ करना एवं घर की दीवारों पर पीला रंग करना।
- बृहस्पति पीड़ा की विशेष शांति हेतु सफेद सरसों, दमयंती के पत्र, मुलेठी और मालती के पुष्प मिलाकर 9 बृहस्पतिवार तक नियमित स्नान करना।
- जिन जातकों का बृहस्पति बिगड़ा हुआ है उन्हें हरिवंश पुराण के अनुसार पितरों की तिथि, श्राद्ध, यज्ञ आदि करना चाहिए।
इस तरह आप गुरु ग्रह की शांति के उपाय करके गुरु ग्रह की शांति कर सकते है. कुंडली में दूसरे ग्रहों की शांति के उपाय जानने के लिए हमारी ग्रहों की शांति के उपाय की सूची को देखिये
- सूर्य देव शांति के उपाय
- चंद्रमा देव शांति के उपाय
- मंगल देव शांति के उपाय
- बुध देव शांति के उपाय
- गुरु देव शांति के उपाय
- शुक्र देव शांति के उपाय
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