सूर्य ग्रह की पूजा जीवन में आरोग्य, शक्ति, मान-सम्मान, कीर्ति, आत्मविश्वास, हर क्षेत्र में विजय एवं विपुल धन-धान्य प्रदान करने वाली कही गयी है। सूर्य ग्रह को नवग्रहों का राजा कहा जाता है। सूर्य के प्रभाव से मनुष्य को सम्मान और सफलता मिलती है। सूर्य भगवान की आराधना करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक का संचार होता है। उसमें एक नयी चेतना (उर्जा) का जागरण होता है। उसके जीवन से हर तरह की निराशा दूर होती है। अपने उच्चाधिकारियों से सम्बन्ध सुधरते हैं। कुंडली में जातक के किसी भी प्रकार के दोष दूर हो जाते हैं। निचे लिखे किसी भी एक मंत्र द्वारा भगवान सूर्य की आराधना पूजा किया जा सकता है।
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जानिये:
सूर्य देव की प्रसन्नता हेतु कौन से मंत्र का जप-पूजा करें?
सूर्य देव की प्रसन्नता हेतु कौन से दान करें?
कुंडली में सूर्य की शुभ-अशुभ स्थिति में कौन से उपाय करें जिनसे उनके शुभ फल प्राप्त कर सकते है?
निचे दिए गए किसी भी मंत्र द्वारा सूर्य ग्रह का शुभ फल प्राप्त किया जा सकता है, इनमें से एक अथवा कई उपाय एक साथ किए जा सकते है यह अपनी आस्था पर निर्भर करता है। यह सभी आजमाए हुए फलित उपाय है।
सूर्य ग्रह के संपूर्ण मंत्र एवं अचूक उपाय
सूर्य ग्रह का पौराणिक मंत्र
ॐ जपाकुसुमसंकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम्।
तमोऽरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम्।।
सूर्य ग्रह का गायत्री मंत्र
ॐ आदित्याय विद्महे प्रभाकराय धीमहि तन्नः सूर्यः प्रचोदयात् ।।
सूर्य ग्रह का वैदिक मंत्र
ॐ आ कृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यं च।
हिरण्ययेन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन्।।
सूर्य ग्रह का बीज मंत्र
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः।।
जप संख्या – 7000 हजार
समय – रविवार प्रातः सूर्योदय काल
सूर्य ग्रह का तांत्रिक मंत्र
ॐ घृणि सूर्याय नमः
सूर्य ग्रह का पूजा मंत्र
ॐ ह्रीं सूर्याय नमः
यह मंत्र बोलते हुए सूर्य को पूजा सामग्री समर्पित करें।
तांबे के लोटे से अर्घ दें।
सूर्य ग्रह का दान
शास्त्रों अनुसार लाल गाय का दान अगर बछड़े समेत हो तो उत्तम, नारियल, गेहूं, लाल चंदन, लाल वस्त्र, गुड़, सोना, घी, माणिक्य, तांबे के बर्तन, लाल रंग से बनी मिठाइयां, और लाल फूल
(दान के विषय में शास्त्र कहता है कि दान का फल उत्तम तभी होता है जब यह शुभ समय में सुपात्र को दिया जाए। सूर्य से सम्बन्धित वस्तुओं का दान रविवार के दिन दोपहर में देना चाहिए)
ध्यान दे – कर्ज और उधार लेकर कभी दान न दें तथा जो व्यक्ति श्रम करने के योग्य होकर भी भीख मांगते हैं ऐसे लोगों को भूलकर भी दान नहीं देना चाहिए।
सूर्य ग्रह का व्रत
सूर्य ग्रह का व्रत किसी भी शुक्ल पक्ष के रविवार से आरंभ करना चाहिए। प्रथम बार दाहिने हाथ में जल लेकर सूर्य देव से अपनी समस्याओं के निवारण की प्रार्थना कर के व्रत करने का संकल्प करना चाहिए और वह जल भूमि पर छोड़ देना चाहिए तत्पश्चात पूजन और व्रत करना चाहिए, संकल्प सिर्फ प्रथम बार करना चाहिए, उस दिन गाय को गेहुं और गुड़ मिलाकर खिलाना चाहिए, व्रत पूर्ण होने पर व्रत का पारण करना चाहिए, किसी योग्य ब्राह्मण को घर पर बुलाकर उन्हें भोजन कराना चाहिए व सूर्य देव की वस्तुए दान करनी चाहिए ।
सूर्य के कुंडली में शुभ होकर कमजोर होने की स्थिति में
- कुंडली में शुभ स्थिति में होने पर माणिक्य रत्न अनामिका उंगली में सोने में मढवाकर रविवार के दिन धारण करना चाहिए ।
- हाथ में मोली (कलावा) छः बार लपेटकर बाँधना चाहिए।
- अगर आपकी कुंडली में सूर्य कमज़ोर है तो आपको अपने पिता एवं अन्य बुजुर्गों की सेवा करनी चाहिए इससे सूर्य देव प्रसन्न होते हैं।
- प्रातः उठकर सूर्य नमस्कार करने से भी सूर्य की विपरीत दशा से आपको राहत मिल सकती है।
- सूर्य को बलवान करने के लिए व्यक्ति को प्रातःकाल सूर्योदय के समय उठकर लाल पुष्प वाले पौधों एवं वृक्षों को जल से सींचना चाहिए।
- रात्रि में ताँबे के पात्र में जल भरकर सिरहाने रख दें तथा दूसरे दिन प्रातःकाल उस जल को किसी वृक्ष के जड़ में चढ़ा देना चाहिए ।
- लाल गाय को रविवार के दिन दोपहर के समय दोनों हाथों में गेहूँ भरकर खिलाने चाहिए।
- किसी भी महत्त्वपूर्ण कार्य पर जाते समय घर से मीठी वस्तु खाकर निकलना चाहिए।
- लाल चन्दन को घिसकर स्नान के जल में डालना चाहिए।
- सूर्य के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु रविवार का दिन, सूर्य के नक्षत्र (कृत्तिका, उत्तरा-फाल्गुनी तथा उत्तराषाढ़ा) तथा सूर्य की होरा में अधिक शुभ होते हैं।
सूर्य ग्रह के कुंडली में अशुभ स्थिति में होने पर में क्या करें क्या न करें?
- कमज़ोर अथवा नीच का होकर परेशान कर रहा है अथवा किसी कारण सूर्य की दशा सही नहीं चल रही है तो आपको माणिक्य नहीं धारण करना चाहिए, बल्कि सूर्य देव की पूजा करना शुभ होगा ।
- गुड़ का सेवन कम करना चाहिए, इसके अलावा आपको इस समय तांबा धारण नहीं करना चाहिए अन्यथा इससे सम्बन्धित क्षेत्र में आपको और भी परेशानी महसूस हो सकती है।
- सवा पाव गुड अथवा ताम्बे का सिक्का या ताम्बे का कोई टुकड़ा रविवार को दिन के समय बहती हुई नदी में प्रवाहित करने चाहिए इससे शरीर में सूर्य की नकारात्मक उर्जा बाहर निकल जाती हैi
- ताम्बे के लोटे में जल लेकर उसमें लाल चन्दन मिलाकर लगातार 108 रविवार सूर्य को अर्पण करना चाहिए।
- तम्बाकू, सिगरेट, मदिरा, मांस का त्याग करना चाहिए व झूठ बोलने से बचना चाहिए।
- किसी ब्राह्मण अथवा गरीब व्यक्ति को गुड़ का खीर खिलाने से भी सूर्य ग्रह के विपरीत प्रभाव में कमी आती है।
सूर्य नाम स्तोत्र
भविष्य पुराण में वर्णित इस दश श्लोक का नित्य पाठ करने से भगवान सूर्य की कृपा प्राप्त होती है, मन प्रसन्न रहता है अगर मन प्रसन्न होता है तो पूरा दिन अच्छा बितता है। अगर यह नित्य करना संभव न हो तो रविवार के दिन करने से बहुत से शुभ फल की प्राप्ति होती है। इससे नौकरी में सफलता मिलती है, विरोधी शांत होते हैं तथा अधिकारी वर्ग व राज सत्ता से लाभ होता है ।
नमः सूर्याय नित्याय रवयेऽर्काय भानवे ।
भास्कराय मतङ्गाय मार्तण्डाय विवस्वते ।।1।।
आदित्यायादिदेवाय नमस्ते रश्मिमालिने ।
दिवाकराय दीप्ताय अग्नये मिहिराय च ।।2।।
प्रभाकराय मित्राय नमस्तेऽदितिसम्भव ।
नमो गोपतये नित्यं१ दिशां च पतये नमः ।।3।।
नमो धात्रे विधात्रे च अर्यम्णे वरुणाय च ।
पूष्णे भगाय मित्राय पर्जन्यायांशवे नमः ।।4।।
नमो हितकृते नित्यं धर्माय तपनाय च ।
हरये२ हरिताश्वाय विश्वस्य पतये नमः ।।5।।
विष्णवे ब्रह्मणे नित्यं त्र्यम्बकाय तथात्मने ।
नमस्ते सप्तलोकेश नमस्ते सप्तसप्तये ।।6।।
एकस्मै हि नमस्तुभ्यमेकचक्ररथाय च ।
ज्योतिषां पतये नित्यं सर्वप्राणभृते नमः ।।7।।
हिताय सर्वभूतानां शिवायार्तिहराय च ।
नमः पद्मप्रबोधाय नमो वेदादिमूर्तये ।।8।।
काधिजाय४ नमस्तुभ्यं नमस्तारासुताय च ।
भीमजाय नमस्तुभ्यं पावकाय च वै नमः ।।9।।
धिषणाय५ नमोनित्यं नमः कृष्णाय नित्यदा ।
नमोऽस्त्वदितिपुत्राय नमो लक्ष्याय नित्यशः ।।10।।
।।इति शुभम्।।
सूर्य देव की आरती
जय जय जय रविदेव, जय जय जय रविदेव |
रजनीपति मदहारी, शतदल जीवनदाता |
षटपत मन मुदकारी, हे दिनमणि ! ताता |
जग के हे रविदेव,जय जय जय रविदेव
नभमण्डल के वासी,ज्योति प्रकाशक देवा |
निज जनहित सुखरासी, तेरी हमसब सेवा |
करते हैं रविदेव, जय जय जय रविदेव |
कनक बदन मन मोहित, रुचिर प्रभा प्यारी |
निज मंडल से मंडित, अजर अमर छविधारी
हे सुरवर रविदेव जय जय जय रविदेव
सूर्य देव की स्तुति
प्रथमहि रवि कहं नावौं माथा,
करहुं कृपा जनि जानि अनाथा ।
हे आदित्य दिवाकर भानू,
मैं मति मन्द महा अज्ञानू ।
अब निज जन कहं हरहु कलेषा,
दिनकर द्वादश रूप दिनेशा ।
नमो भास्कर सूर्य प्रभाकर,
अर्क मित्र अघ मोघ क्षमाकर ।
इस तरह आप सूर्य देव के मंत्र, व्रत और पूजा करके सूर्य ग्रह को प्रसन्न कर सकते है. कुंडली में दूसरे ग्रहों को प्रसन्न करने के लिए उनके मंत्र, व्रत और पूजा की जानकारी जानने के लिए हमारी ग्रह देव मंत्र एवं उपाय की सूची को देखिये
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