ग्रह देव शुक्र की आराधना उनकी पूजा से जीवन में सुख, ज्ञान, विपुल धन-धान्य वैवाहिक सुख, जीवन साथी का प्यार-समर्पण, सुन्दर और अलंकृत घर, उत्तम वाहन तथा भौतिक संसार की सभी सुख सुविधायें प्राप्त होती हैं। हम सभी के जीवन में शुक्र का बहुत ही प्रभाव होता है, जीवन में जब सुख-संवृद्धि हो, सुन्दर और प्यार करने वाला जीवन साथी हो तो जीवन का आनंद ही कुछ और है। हमारे शास्त्रों के अनुसार शुक्र ग्रह को ही संसार की सभी कलाओं का कारक कहा गया है। आज के युग में फिल्म-सिनेमा, थियेटर, संगीत, अभिनय, फैशन आदि का बहुत प्रभाव है। इस विषयों में सफलता प्राप्ति तभी संभव है जब शुक्र देव की कृपा हो। शुक्र वीर्य के भी कारक हैं संतान प्राप्ति और वैवाहिक सुख तभी संभव है जब पुरुष वीर्यवान हो।
शुक्र कुंडली में शुभ और बलवान हों तभी उपरोक्त सभी फल जातक को मिलता है। विवाह में अड़चन आने पर शुक्र का ही कमजोर प्रभाव होता है। अगर कुंडली में शुक्र अशुभ अथवा पीड़ित हों तो यह सभी फल प्राप्त करने में बहुत कठिनाई होती है। ऐसे में शुक्र की कृपा प्राप्ति जातक के लिए बहुत आवश्यक हो जाती है।
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जानिये:
शुक्र देव की प्रसन्नता हेतु कौन से मंत्र का जप-पूजा करें?
शुक्र देव की प्रसन्नता हेतु कौन से दान करें?
कुंडली में शुक्र की शुभ-अशुभ स्थिति में कौन से उपाय करें जिनसे उनके शुभ फल प्राप्त कर सकते है?
निचे दिए गए किसी भी मंत्र द्वारा शुक्र ग्रह का शुभ फल प्राप्त किया जा सकता है, इनमें से एक अथवा कई उपाय एक साथ किए जा सकते है यह अपनी श्रद्धा पर निर्भर करता है। यह सभी आजमाए हुए फलित उपाय है।
शुक्र ग्रह के संपूर्ण मंत्र एवं अचूक उपाय
शुक्र ग्रह का पौराणिक मंत्र
ॐ हिमकुन्द मृणालाभं दैत्यानां परमं गुरूम्।
सर्वशास्त्र प्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम्।।
शुक्र ग्रह का गायत्री मंत्र
ॐ भृगुसुताय विद्महे विन्देशाय धीमहि तन्नो शुक्रः प्रचोदयात् ।।
शुक्र ग्रह का वैदिक मंत्र
ॐ अन्नात्परिस्रुतो रसं ब्रह्मणा व्यपिबत् क्षत्रं पयः सोमं प्रजापतिः।
ऋतेन सत्यम् इन्द्रियं विपान शुक्रमन्धस इन्द्रस्येन्द्रियमिदं पयोऽमृतं मधु।।
शुक्र ग्रह का बिज मंत्र
ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः
जप संख्या: 16000
समय: शुक्ल पक्ष, शुक्रवार एवं शुक्र की ही होरा।
शुक्र ग्रह तांत्रिक मंत्र
ॐ शुं शुक्राय नमः
शुक्र ग्रह का पूजा मंत्र
ॐ ह्रीं श्री शुक्राय नमः
यह मंत्र बोलते हुए शुक्र यंत्र का पूजन करें।
शुक्र ग्रह का दान
ग्रह देव शुक्र का दिन है शुक्रवार इनका। शुक्र के उपाय हेतु जिन वस्तुओं का दान किया जाता है वह हैं ?
रेशमी कपड़े, मलाई, मक्खन, दही, घी, सुगंध-परफ्यूम, चीनी, खाद्य तेल, शैम्पू, पावडर, श्रृंगार का सभी सामान, चावल, कपूर, सफेद घोडा, सफेद चन्दन आदि का दान शुक्र ग्रह की विपरीत दशा में सुधार लाता है। शुक्र से सम्बन्धित रत्न (हिरा) का दान भी लाभप्रद होता है। इन वस्तुओं का दान शुक्रवार के दिन संध्या काल में किसी युवती को देना उत्तम रहता है।
ध्यान दे – कर्ज और उधार लेकर कभी दान न दें तथा जो व्यक्ति श्रम करने के योग्य होकर भी भीख मांगते हैं ऐसे लोगों को भूलकर भी दान नहीं देना चाहिए।
शुक्र ग्रह का व्रत
जब भी शुक्रवार का व्रत करना हो तो सर्वप्रथम किसी भी शुक्ल पक्ष के शुकवार से शुरू करें, सबसे पहले स्नान आदि से निवृत होकर किसी क्रीम रंग के आसन पर पूर्व दिशा की तरफ मुंह कर के बैठ जाए, अब ग्रह देव शुक्र का ध्यान करें उनका यंत्र सामने रख लें तो अति उत्तम, अब अपने दाहिने हाथ में शुद्ध जल ले लें और उनसे अपनी मनोकामना कहकर संकल्प करें कि हे ग्रह देव शुक्र मैं अपनी यह मनोकामना लेकर आप की इतने शुक्रवार का व्रत करने का संकल्प करता हूँ। आप मेंरे मनोरथ पूर्ण करें और मुझे आशीर्वाद दें, यह कह कर हाथ में लिया हुआ जल धरती पर गिरा दें, ऐसा संकल्प सिर्फ प्रथम शुक्रवार को करना है। तत्पश्चात श्रद्धा भाव से शुक्र देव का पंचोपचार पूजन करें व ऊपर लिखित किसी भी मंत्र का 1, 3, 5, 7, 9, 11 जितना भी संभव हो उतनी माला जप करें। दिन में फला हार कर सकते हैं। संध्या समय भोजन कर सकते हैं। भोजन में मीठी चीजों का सेवन कर सकते हैं। शुक्रवार के व्रत में खट्टी चीजें व नमकीन बिलकुल लें। इस प्रकार करने से शुक्र की कृपा व उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
जितना संकल्प किया था उतना व्रत पूर्ण होने पर व्रत का पारण करना चाहिए, किसी योग्य ब्राह्मण पत्नी अथवा किसी कन्या को घर पर बुलाकर भोजन करना चाहिए व शुक्र की वस्तु दान करनी चाहिए। शुक्रवार को सन्तोसी माता का व्रत भी स्त्रियाँ कर सकती हैं।
शुक्र ग्रह के कुंडली में शुभ होकर कमजोर होने पर
- क्रीम रंग के रेशमी वस्त्र पहनने तथा घर में क्रीम कलर करवाने व चद्दर तकिये व पर्दे लगाने से भी शुक्र बलवान होते हैं ।
- सीधे हाथ की अनामिका उंगली में हीरा सोने या प्लेटिनम धातु में जड़वाकर पहनना चाहिए।
- हमेशा चाँदी की गोली बनाकर अपने पर्स में रखना चाहिए या गले में चाँदी में ओपल नग का लॉकेट बनवाकर धारण करना चाहिए।
- गंदे नाले में नीला फूल डालने से शुक्र अच्छा फल देता है।
- शुक्रवार को उडद की दाल में घी डाल कर भोजन करने से शुक्र मजबूत हो जाता है।
- परफ्यूम, इत्र, डिजाइनर कपडे, क्रीम, पावडर का प्रयोग करने से भी शुक्र बलवान होता है।
- शुक्रवार को उड़द की दल में घी डालकर भोजन करने से शुक्र बलवान होते हैं ।
- हर शुक्रवार सफ़ेद चन्दन का तिलक लगाने से भी शुक्र बलवान होते हैं ।
- घर में शुकवार को श्री सूक्त का पाठ करना भी लाभकारी होता है ।
- शुक्रवार को संतोषी माता की पूजा आराधना करने से भी शुक्र का शुभ फल प्राप्त होता है ।
- घर में तुलसी के पौधे लगाना चाहिये और रोज उसे सींचना चाहिये ।
- चाँदी की कटोरी में कपूर, सफ़ेद चन्दन, स्फटिक का पत्थर रखकर अपने स्यां कक्ष में रखना चाहिये ।
- अपने शरीर को साफ सुथरा रखने, स्वच्छ वस्त्र पहनने, परफ्यूम-डियो लगाने, तथा क्रीम पावडर का इस्तेमाल करने से भी शुक्र बलवान होते हैं।
- गीत संगीत में रस लेना, नित्य कोई गीत सुनना, कोई वाद्य यंत्र बजाने की शिक्षा लेने से भी शुक्र हर्षित होता है।
शुक्र ग्रह के कुंडली में नीच अथवा अशुभ होने की स्थिति में
- शुक्र से सम्बन्धित वस्तुओं जैसे सुगंध, घी और सुगंधित तेल का प्रयोग नहीं करना चाहिए। वस्त्रों के चुनाव में अधिक विचार नहीं करें।
- काली चींटियों को चीनी खिलानी चाहिए, अगर शुक्रवार के दिन पीपल के पेड़ की जड़ में थोड़ी चीनी डाली जाये तो शुक्र की अशुभता कम होती है।
- शुक्रवार के दिन सफेद गाय को आटा खिलाना चाहिए।
- किसी काने व्यक्ति को सफेद वस्त्र एवं सफेद मिष्ठान का दान करना चाहिए।
- किसी कन्या के विवाह में कन्यादान का अवसर मिले तो अवश्य करना चाहिए तथा उसे गुलाबी साडी व श्रृंगार की वस्तु भेंट करनी चाहिए।
- सफेद रंग के पत्थर पर चन्दन का तिलक लगाकर बहते हुए पानी में बहाने से शुक्र का अशुभ प्रभाव कम हो जाता है।
- वृद्धों एवं गरीबों को घी भात खिलाएं, अपने भोजन में से एक हिस्सा निकालकर गाय को खिलाएं।
- किसी शुक्रवार से शुरू कर के गाय को 7 दिन लगातार हरा चारा खिलाना चाहिए ।
- शुकवार के हि दीन दुर्गा जी की पूजा कर के पांच कन्याओं को खीर खिलाना चाहिये अगर यह नवरात्रों में किया जाये तो अति शुभ होगा ।
- अगर संभव हो तो किसी ब्राह्मण को सफ़ेद गाय दान देना चाहिए ।
- चाँदी की एक गोली हमेसा अपने पर्श में रखना चाहिये ।
- चाँदी पर शुक्र का यंत्र बनवाकर क्रीम रंग के रेशमी कपडे में लपेटकर निम के पेड़ की जड़ में शुक्रवार को दबाने से भी शुक्र शुभ होता है।
नोट- इनमे से कोई एक अथवा कई उपाय एक साथ भी श्रधा पूर्वक करना चाहिए। यह सभी बारम्बार अजमाए हुए फलित उपाय है ।
इनके अलावा शुक्र ग्रह से संबंधित कैसी भी परेशानी हो तो निम्नलिखित स्तोत्र का नित्य पाठ करें अगर नित्य संभव न हो तो किसी भी शुक्ल पक्ष के शुक्रवार से प्रारम्भ कर के हर शुक्रवार को नियम पूर्वक इसका पाठ करें, स्कन्द पुराण में वर्णित इस पाठ का बहुत ही महत्व है, इससे जीवन में ग्रह देव शुक्र से संबंधित उपरोक्त सभी फल प्राप्त होते हैं।
विधि- सर्व प्रथम स्नान आदि से निवृत होकर क्रीम रंग के आसन पर बैठकर ग्रह देव शुक्र का ध्यान करें व श्रद्धा पूर्वक पंचोपचार (धुप, गंध/चन्दन, दीप, पुष्प, नैवेद्य इससे किसी भी देवता की पूजा को पंचोपचार पूजन कहते हैं) पूजन करें फिर अपने दाहिने हाँथ में जल लेकर विनियोग करें अर्थात निचे लिखे मंत्र को पढ़ें।
(विनियोग का बहुत महत्त्व है। जैसे- किसी भी मंत्र या स्तोत्र या छंद को जपने, पढने का उद्देश्य क्या है, उसको खोजने वाले, रचना करने वाले ऋषि कौन है आदि, हम विनियोग द्वारा उस मंत्र आदि को अपने कल्याण के लिए उपयोग कर रहे हैं और उसके रचयिता का आभार कर रहे हैं)
विनियोग मंत्र
अस्य शुक्रस्तोत्र्स्य पजापतिऋषिः अनुष्टुपछन्दः शुक्रो देवता शुक्रप्रीत्यर्थे पाठे विनियोगः
शुक्रः काव्यः शुक्ररेताः शुक्लांबरधरः सुधीः।
हिमाभः कुन्दधवलः शुभ्रांशुः शुक्लभूषणः ॥1॥
नीतिज्ञो नीतिकृन्नीतिमार्गगामी ग्रहाधिपः।
उशना वेदवेदांगपारगः कविरात्मवित् ॥2॥
भार्गवः करुणासिन्धुः ज्ञानगम्यः सुतप्रदः।
शुक्रस्यैतानि नामानि शुक्रं स्मृत्वा तु यः पठेत्॥3॥
आयुर्धनं सुखं पुत्रान् लक्ष्मीं वसतिमुत्तमाम्।
विद्यां चैव स्वयं तस्मै शुक्रस्तुष्टो ददाति हि ॥4॥
॥ इति श्रीस्कन्दपूराणे शुक्रस्तोत्रं संपूर्णं ॥
।।इति शुभम्।।
शुक्रवार की आरती
आरती लक्ष्मण बालजती की
असुर संहारन प्राणपति की
जगमग ज्योति अवधपुर राजे
शेषाचल पै आप विराजे
घंटा ताल पखावज बाजे
कोटि देव मुनि आरती साजे
किरीट मुकुट कर धनुष विराजे
तीन लोक जाकी शोभा राजे
कंचन थार कपूर सुहाई
आरती करत सुमित्रा माई
आरती कीजे हरी की तैसी
ध्रुव प्रहलाद विभीषण जैसी
प्रेम मगन होय आरती गावै
बसि वैकुण्ठ बहुरि नहीं आवै
भक्ति हेतु हरि ध्यान लगावै
जन घनश्याम परमपद पावै
शुक्र देव की स्तुति
शुक्र देव पद तल जल जाता,
दास निरन्तन ध्यान लगाता ।
हे उशना भार्गव भृगु नन्दन,
दैत्य पुरोहित दुष्ट निकन्दन ।
भृगुकुल भूषण दूषण हारी,
हरहुं नेष्ट ग्रह करहुं सुखारी ।
तुहि द्विजबर जोशी सिरताजा,
नर शरीर के तुमही राजा ।
इस तरह आप शुक्र देव के मंत्र, व्रत और पूजा करके शुक्र ग्रह को प्रसन्न कर सकते है. कुंडली में दूसरे ग्रहों को प्रसन्न करने के लिए उनके मंत्र, व्रत और पूजा की जानकारी जानने के लिए हमारी ग्रह देव मंत्र एवं उपाय की सूची को देखिये
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