ग्रह देव राहु की पूजा उनकी आराधना तब आवश्यक हो जाती है जब कुंडली के शुभ भावों पर इनका अशुभ प्रभाव हो जाता है। राहु अपना फल अप्रत्याशित रूप से देने के लिए प्रसिद्ध हैं। यह शुभ हुए तो यश वृद्धि, धन वृद्धि , प्रमोशन, राजनीतिक सफलता, इंजीनियरिंग क्षेत्र में सफलता तथा मान-सम्मान प्रदान करते हैं। अगर कुंडली में अशुभ हुए तो बंधन योग, जेल, अचानक दुर्घटना, करंट, सर्प दंश, संकट, पढाई से मोह भंग, ऐसी बीमारी देना जिसकी ठीक से जाँच न हो पाए तथा कलंक लगने जैसी घटनाएँ जीवन में अप्रत्याशित रूप से घटने लगती हैं।
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जानिये:
राहु देव की प्रसन्नता हेतु कौन से मंत्र का जप-पूजा करें?
राहु देव की प्रसन्नता हेतु कौन से दान करें?
कुंडली में राहु की शुभ-अशुभ स्थिति में कौन से उपाय करें जिनसे उनके शुभ फल प्राप्त कर सकते है?
निचे दिए गए किसी भी मंत्र द्वारा राहु ग्रह का शुभ फल प्राप्त किया जा सकता है, इनमें से एक अथवा कई उपाय एक साथ किए जा सकते है यह अपनी श्रद्धा पर निर्भर करता है। यह सभी आजमाए हुए फलित उपाय है।
राहु ग्रह के संपूर्ण मंत्र एवं अचूक उपाय
राहु ग्रह का पौराणिक मंत्र
ॐ अर्धकायं महावीर्यं चन्द्रादित्य विमर्दनम्।
सिंहिकागर्भसंभूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम्।।
राहु ग्रह का गायत्री मंत्र
ॐ शिरोरुपाय विद्महे अमृतेशाय धीमहि तन्नो राहुः प्रचोदयात् ।।
राहु ग्रह का वैदिक मंत्र
ॐ कया नश्चित्र आ भुवदूती सदा वृधः सखा।
कया शचिष्ठया वृत।।
राहु ग्रह का बीज मंत्र
ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः।।
जप संख्या: 18000
समय: शनिवार शुक्ल पक्ष रात्रि काल
राहु ग्रह का तांत्रिक मंत्र
ॐ रां राहवे नमः
राहु ग्रह पूजा मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं राहवे नमः
यह मंत्र बोलते हुए राहु देव अथवा राहु यंत्र की पूजा करें।
राहु ग्रह का दान
राहु ग्रह के दान के लिए दिन है शनिवार। अतः इस दिन सतनाजा, ( सात प्रकार के अनाज ) गोमेद-नीलम, सीसा काला घोडा, सोने या चांदी का बना हुआ सर्प, काले उडद, तलवार, नीला या काला कंबल, नारियल, तिल का तेल, कोयला, खोटे सिक्के, जलेबी मिठाई संध्या समय किसी कोढ़ी को दान में देना चाहिए।
ध्यान दे – कर्ज और उधार लेकर कभी दान न दें तथा जो व्यक्ति श्रम करने के योग्य होकर भी भीख मांगते हैं ऐसे लोगों को भूलकर भी दान नहीं देना चाहिए।
राहु ग्रह का व्रत
राहु से पीड़ित व्यक्ति को शनिवार का व्रत करना चाहिए इससे राहु ग्रह का दुष्प्रभाव कम होता है।
जब भी शनिवार का व्रत करना हो तो सर्वप्रथम किसी भी कृष्ण पक्ष के शनिवार से सुरु करें, सबसे पहले शनिवार के दिन पहले स्नान आदि से निवृत होकर ॐन के आसन पर पश्चिम दिशा की तरफ मुंह कर के बैठ जाए, अब ग्रह देव राहु का ध्यान करें उनका यंत्र सामने रख लें तो अति उत्तम, अब अपने दाहिने हाथ में शुद्ध जल ले लें और उनसे अपनी मनोकामना कहकर संकल्प करें कि हे ग्रह देव राहु मैं अपनी यह मनोकामना लेकर आप की इतने शनिवार का व्रत करने का संकल्प करता हूँ। आप मेंरे मनोरथ पूर्ण करें और मुझे आशीर्वाद दें, यह कह कर हाथ में लिया हुआ जल धरती पर गिरा दें, ऐसा संकल्प सिर्फ प्रथम शनिवार को करना है। तत्पश्चात श्रद्धा भाव से राहु देव का पंचोपचार पूजन करें व ऊपर लिखित किसी भी मंत्र का 1, 3, 5, 7, 9, 11 जितना भी संभव हो उतनी माला जप करें।
अगर घर के आस-पास भैरव मंदिर हो तो उस दिन जाकर भैरव देव का दर्शन कर के उनका आशीर्वाद लें।
नोट- जितना संकल्प किया था उतना व्रत पूर्ण होने पर व्रत का पारण करना चाहिए, किसी गरीब व वृद्ध व्यक्ति को घर पर बुलाकर भोजन करना चाहिए व राहु की वस्तु अपनी समर्थ अनुसार दान करनी चाहिए।
राहु ग्रह के कुंडली में शुभ होने पर
- राहु की अनुकूलता के लिए भैरो देव की पूजा करें या महामृत्युंजय मंत्र का जप करें।
- मीठी रोटी कौए को दें और ब्राह्मणों अथवा गरीबों चावल दान करें।
- कुंडली में शुभ स्थिति में होने पर राहु रत्न गोमेद पंच धातु की अंगूठी में सीधे हाथ की माध्यम उंगली में शनिवार को धारण करना चाहिए।
- काले कांच की गोली या खोटे सिक्के जेब में रखने से राहु बलवान हो जाता है।
- राहु की दशा होने पर कुष्ट से पीड़ित व्यक्ति की सहायता करनी चाहिए।
- गरीब व्यक्ति की कन्या की शादी करनी चाहिए।
- राहु की दशा से आप पीड़ित हैं तो अपने सिरहाने जौ रखकर सोयें और सुबह उनका दान कर दें इससे राहु की दशा शांत होगी।
- ऐसे व्यक्ति को अष्टधातु का कड़ा दाहिने हाथ में धारण करना चाहिए।
- हाथी दाँत का लाकेट गले में धारण करना चाहिए।
- अपने पास सफेद चन्दन अवश्य रखना चाहिए। सफेद चन्दन की माला भी धारण की जा सकती है।
- अपनी चारपाई या बेड के चारों कोनों पर सिक्के बंधने से राहु बलवान हो जाता है।
राहु ग्रह के कुंडली में नीच एवं अशुभ होने पर
- जमादार या सफाई कर्मचारी को तंबाखू या इससे बनी चीजे दान देनी चाहिए।
- दिन के संधि काल में अर्थात् सूर्योदय या सूर्यास्त के समय कोई महत्त्वपूर्ण कार्य नहीं करना चाहिए।
- यदि किसी अन्य व्यक्ति के पास रुपया अटक गया हो, तो प्रातःकाल पक्षियों को दाना चुगाना चाहिए।
- झूठी कसम नहीं खानी चाहिए।
- काले व निले कपडे नहीं पहनने चाहिए।
- शनिवार के दिन अथवा नित्य भगवती दुर्गा एवं सरस्वती की जी की पूजा करने से राहु का शुभ फल प्राप्त होता है।
- प्रत्येक शनिवार 400 ग्राम कच्चे कोयले बहते हुए जल में प्रवाहित करने चाहिए।
- घर में बनने वाली पहली रोटी खीर के साथ काले रंग की गाय अथवा कौओं को खिलाना चाहिए ।
- राहु अगर अशुभ हों तो ससुराल से इलेक्ट्रानिक वस्तु उपहार में नहीं लेनी चाहिए ।
- राहु के किसी नक्षत्र वाले दिन से शुरू कर के जौ के आटे की गोलियां बनाकर मछलियों को खिलानी चाहिए।
नोट- इनमें से कोई एक अथवा कई उपाय एक साथ श्रधा पूर्वक करना चाहिए।
इनके अलावा राहु ग्रह से संबंधित कैसी भी परेशानी हो तो निम्नलिखित स्त्रोत का नित्य पाठ करें अगर नित्य संभव न हो तो किसी भी कृष्ण पक्ष के शनिवार से प्रारम्भ कर के हर शनिवार को नियम पूर्वक इसका पाठ करें, स्कन्द पुराण में वर्णित इस पाठ का बहोत ही महत्व है, इससे जीवन में ग्रह देव राहु से संबंधित उपरोक्त सभी फल प्राप्त होते हैं।
विधि- सर्व प्रथम स्नान आदि से निवृत होकर उन के आसन पर बैठकर ग्रह देव राहु का ध्यान करें व श्रद्धा पूर्वक पंचोपचार (धुप, गंध / चन्दन, दीप, पुष्प, नैवेद्य इससे किसी भी देवता की पूजा को पंचोपचार पूजन कहते हैं) पूजन करें फिर अपने दाहिने हाथ में जल लेकर विनियोग करें अर्थात निचे लिखे मंत्र को पढ़ें।
(विनियोग का बहुत महत्व है। जैसे- किसी भी मंत्र या स्तोत्र या छंद को जपने, पढ़ने का उद्देश्य क्या है, उसको खोजने वाले, रचना करने वाले ऋषि कौन है आदि, हम विनियोग द्वारा उस मंत्र आदि को अपने कल्याण के लिए उपयोग कर रहे हैं और उसके रचयिता का आभार कर रहे हैं)
विनियोग मंत्र
अस्य श्री राहु स्तोत्रस्य वामदेव ऋषि, गायत्री छन्दः राहुर्देवता, राहु प्रीत्यर्थे जपे विनियोगः
राहुर्दानव मन्त्री च सिंहिकाचित्तनन्दनः ।
अर्धकायः सदाक्रोधी चन्द्रादित्यविमर्दनः ॥1॥
रौद्रो रुद्रप्रियो दैत्यः स्वर्भानुर्भानुमीतिदः ।
ग्रहराजः सुधापायी राकातिथ्यभिलाषुकः ॥2॥
कालदृष्टिः कालरुपः श्रीकष्ठह्रदयाश्रयः ।
विधुंतुदः सैंहिकेयो घोररुपो महाबलः ॥3॥
ग्रहपीडाकरो द्रंष्टी रक्तनेत्रो महोदरः ।
पञ्चविंशति नामानि स्मृत्वा राहुं सदा नरः ॥4॥
यः पठेन्महती पीडा तस्य नश्यति केवलम् ।
विरोग्यं पुत्रमतुलां श्रियं धान्यं पशूंस्तथा ॥5॥
ददाति राहुस्तस्मै यः पठते स्तोत्रमुत्तमम् ।
सततं पठते यस्तु जीवेद्वर्षशतं नरः ॥6॥
॥इति श्रीस्कन्दपुराणे राहुस्तोत्रं संपूर्णम् ॥
।।इति शुभम्।।
राहु देव की स्तुति
जय जय राहु गगन प्रविसइया,
तुमही चन्द्र आदित्य ग्रसइया ।
रवि शशि अरि स्वर्भानु धारा,
शिखी आदि बहु नाम तुम्हारा ।
सैहिंकेय तुम निशाचर राजा,
अर्धकाय जग राखहु लाजा ।
यदि ग्रह समय पाय हिं आवहु,
सदा शान्ति और सुख उपजावहु ।
इस तरह आप राहु देव के मंत्र, व्रत और पूजा करके राहु ग्रह को प्रसन्न कर सकते है. कुंडली में दूसरे ग्रहों को प्रसन्न करने के लिए उनके मंत्र, व्रत और पूजा की जानकारी जानने के लिए हमारी ग्रह देव मंत्र एवं उपाय की सूची को देखिये
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