ग्रह देव मंगल की आराधना उनकी पूजा जीवन में निर्भीकता, पराक्रम, हिम्मत कार्य करने की शक्ति शारीरिक बल प्रदान करती है। जीवन में हर व्यक्ति को इस सब जरूरत होती है। बहादुरी का कोई भी क्षेत्र हो जैसे पुलिस, आर्मी, स्पोर्ट्स, जासूसी आदि इन सब में सफल प्राप्त करने के लिए ग्रह देव मंगल के आशीर्वाद की परम आवश्यकता होती है। जोश हर मर्द का गहना होता है अगर कुंडली में मंगल ग्रह पीड़ित, कमजोर या अशुभ हों तो जातक डरपोक व कायर होता है। जिनमें भी ऐसे लक्षण हों ऐसे लोगों को मंगल देव की पूजा आराधना अवश्य करनी चाहिए । इससे उपरोक्त सभी गुण प्राप्त होते हैं ।
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जानिये:
मंगल देव की प्रसन्नता हेतु कौन से मंत्र का जप-पूजा करें?
मंगल देव की प्रसन्नता हेतु कौन से दान करें?
कुंडली में मंगल की शुभ-अशुभ स्थिति में कौन से उपाय करें जिनसे उनके शुभ फल प्राप्त कर सकते है?
निचे दिए गए किसी भी मंत्र द्वारा मंगल ग्रह का शुभ फल प्राप्त किया जा सकता है, इनमें से एक अथवा कई उपाय एक साथ किए जा सकते है यह अपनी श्रद्धा पर निर्भर करता है। यह सभी आजमाए हुए फलित उपाय है।
मंगल ग्रह के संपूर्ण मंत्र एवं अचूक उपाय
मंगल ग्रह का पौराणिक मंत्र
ॐ धरणीगर्भसंभूतं विद्युत्कांति समप्रभम् ।
कुमारं शक्तिहस्तं तं मङ्गलं प्रणमाम्यहम् ।।
मंगल ग्रह का गायत्री मंत्र
ॐ अंगारकाय विद्महे शक्तिहस्ताय धीमहि, तन्नो भौमः प्रचोदयात्।।
मंगल ग्रह का वैदिक मंत्र
ऊँ अग्निर्मूर्धा दिवः ककुत्पतिः पृथिव्या अयम।
अपां रेता सि जिन्वति।।
मंगल ग्रह का बीज मंत्र
ऊँ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः।
जप संख्या – 10000
समय – मंगलवार को सूर्य की होरा में
मंगल ग्रह का तांत्रिक मंत्र
ॐ अं अंङ्गारकाय नम:
मंगल ग्रह का पूजा मंत्र
ऊँ भोम भोमाय नमःयह मंत्र बोलते हुए मंगल प्रतिमा अथवा यंत्र का पूजन करें।
मंगल ग्रह का दान
मंगल देव का दिन होता है मंगलवार और इनका रंग होता है लाल अतः इस दिन श्रद्धा भाव से गेहूं, मसूरकी दाल, गुड़, लाल रंग का वस्त्र, तांबे के बर्तन, बताशा, मीठी चपाती, गुड़ निर्मित रेवड़ियां किसी युवा ब्राह्मण को दान देना चाहिए। मंगलवार के दिन व्रत करना चाहिए और ब्राह्मण अथवा किसी गरीब व्यक्ति को भर पेट भोजन कराना चाहिए। मंगल पीड़ित व्यक्ति में धैर्य की कमी होती है अत: धैर्य बनाये रखने का अभ्यास करना चाहिए एवं छोटे भाई बहनों का ख्याल रखना चाहिए।
ध्यान दे – कर्ज और उधार लेकर कभी दान न दें तथा जो व्यक्ति श्रम करने के योग्य होकर भी भीख मांगते हैं ऐसे लोगों को भूलकर भी दान नहीं देना चाहिए।
मंगल ग्रह का व्रत
किसी भी शुक्ल पक्ष के मंगलवार से शुरू कर के मंगलवार का व्रत करना चाहिए। प्रथम बार दाहिने हाथ में जल लेकर मंगल देव से अपनी समस्याओं के निवारण की प्रार्थना करते हुए कितने मंगलवार का आप व्रत करेंगे बोलते हुए संकल्प करना चाहिए और वह जल भूमि पर छोड़ देना चाहिए। तत्पश्चात पूजन और व्रत करना चाहिए। व्रत के दिन दूध, फल, चाय ले सकते हैं। और दिन डूबने के बाद भोजन किया जा सकता है पर भोजन सात्विक ही हो पर इस दिन मीठा न खाएं तो ही उचित है। इस तरह व्रत करने से मंगल का प्रकोप कम होता है ।
मंगल देव की कृपा प्राप्ति हेतु हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए संभव हो तो रोज नित्य हनुमान मंदिर जाकर उन्हें लड्डू का प्रसाद चढ़ाना चाहिए और दर्शन कर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए यह बहुत ही फलित उपाय है ।
(संकल्प सिर्फ पहली बार करना है उसके बाद जितने मंगलवार का संकल्प लिया था उतना मंगलवार पूर्ण होने पर करना है ठीक उसी तरह जैसे पहली बार किया गया था अबकी बार मंगल देव का धन्यवाद बोलते हुए जल निचे गिरा देना होता है)।
जितना संकल्प लिया था उतना व्रत पूर्ण होने पर व्रत का पारण करना चाहिए, किसी योग्य ब्राह्मण को घर पर बुलाकर भोजन करना चाहिए व मंगल देव की वस्तु दान करनी चाहिए।
अगर मंगल कुंडली में शुभ होकर कमजोर हों तो
- सोने अथवा तांबे की अंगूठी में मूंगा नग धारण करना चाहिए।
- लाल रंग के कपडे पहनने चाहिए व एक ताम्बे का कडा दाहिने हाथ में धारण करना चाहिए अगर कड़े में हनुमान जी का चित्र बना हो तो यह बहुत अच्छा फल देगा।
- लाल कपड़े में सौंफ बाँधकर अपने शयनकक्ष में रखनी चाहिए।
- जातक जब भी अपना घर बनवाये तो उसे घर में लाल पत्थर अवश्य लगवाना चाहिए।
- गुड अत्यधिक खाना चाहिए तथा अपने भोजन में मसूर की दाल का इस्तेमाल करना चाहिए।
- मंगलवार के दिन हनुमान जी के चरण से सिन्दूर ले कर उसका टीका माथे पर लगाना चाहिए।
- बंदरों को गुड़ और चने खिलाने चाहिए।
- अगर आप पराक्रम से सम्बंधित कार्य करते हैं जैसे पुलिस-सेना की नौकरी, क्रिकेट, फुटबाल अथवा अन्य खेलों में लाल रुमाल अथवा लाल टोपी का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे मंगल मजबूत होगा तथा साहस में वृद्धि होगी।
- घर में लाल फूल का पौधा रोपित करना चाहिए और निरंतर ताम्बे के लोटे में रात्रि में जल रखकर सुबह उसी जल से सींचना चाहिए इससे मंगल के शुभ फल प्राप्त होते हैं ।
मंगल ग्रह के कुंडली में नीच अथवा अशुभ स्थिति में होने पर
- नारियल को तिलक लगाकर लाल कपडे में लपेटकर बहते हुए जल में 3 मंगलवार प्रवाहित करने से अशुभ मंगल का प्रभाव कम हो जाता है।
- अगर आप का मंगल अशुभ है तो आप को लाल वस्त्र नहीं धारण करना चाहिए।
- मंगलवार को मदिरा, मांस-मछली का सेवन नहीं करना चाहिए बल्कि मंगल मंत्र, हनुमान चालीसा, हनुमान कवच, बजरंग बाण आदि का पाठ करना चाहिए जिससे मंगल देव की कृपा प्राप्त होती है।
- जिस कन्या की कुंडली में मांगलिक योग की वजह से शादी में बाधा आती है उनको सात मंगलवार का लगातार व्रत करना चाहिए।
- छः मंगलवार लगातार लाल वस्त्र ले कर उसमें दो मुठ्ठी मसूर की दाल बाँधकर मंगलवार के दिन किसी भिखारी को दान करनी चाहिए।
इनके अलावा मंगल ग्रह से संबंधित कैसी भी परेशानी हो तो स्कन्द पुराण में वर्णित इस निम्नलिखित स्तोत्र का नित्य पाठ करें अगर नित्य संभव न हो तो किसी भी शुक्ल पक्ष के मंगलवार से प्रारम्भ कर के हर मंगलवार को नियम पूर्वक इसका पाठ करें, इस पाठ का बहुत ही महत्व है, इससे ग्रह देव मंगल की शुभ कृपा से जीवन के सभी मनोरथ सफल होते हैं, विजय प्राप्त होती हैं।
विधि- सर्व प्रथम स्नान आदि से निवृत होकर लाल आसन पर बैठकर ग्रह देव मंगल का ध्यान करें व श्रद्धा पूर्वक उनका पंचोपचार (धुप, गंध/चन्दन, दीप, पुष्प, नैवेद्य इससे किसी भी देवता की पूजा को पंचोपचार पूजन कहते हैं) पूजन करें फिर अपने दाहिने हाथ में जल लेकर विनियोग करें अर्थात निचे लिखे मंत्र को पढ़ें।
विनियोग मंत्र –
विनियोग- अस्याङ्गारकस्तोतत्रस्य विरुपांगीरस ऋषि अग्नि देवता गायत्री छन्दः भोम प्रित्यर्थे पाठे विनियोगः
अपने हाथ का जल धरती पर छोड़ दें और फिर निम्नलिखित पाठ करें।
अंगारकः शक्तिधरो लोहिताङ्गो धरासुतः।
कुमारो मङ्गलो भौमो महाकायो धनप्रदः॥1॥
ऋणहर्ता दृष्टिकर्ता रोगकृद्रोगनाशनः।
विद्युत्प्रभो व्रणकरः कामदो धनहृत् कुजः ॥2॥
सामगानप्रियो रक्तवस्त्रो रक्तायतेक्षणः।
लोहितो रक्तवर्णश्च सर्वकर्मावबोधकः॥3॥
रक्तमाल्यधरो हेमकुंडली ग्रहनायकः।
नामान्येतानि भौमस्य यः पठेत्सततं नरः ॥4॥
ऋणं तस्य च दौर्भाग्यं दारिद्र्यं च विनश्यति।
धनं प्राप्नोति विपुलं स्त्रियं चैव मनोरमाम् ॥5॥
वंशोद्द्योतकरं पुत्रं लभते नात्र संशयः।
योऽर्चयेदह्नि भौमस्य मङ्गलं बहुपुष्पकैः ॥6॥
सर्वा नश्यति पीडा च तस्य ग्रहकृता ध्रुवम्।
।।इति श्री स्कान्दपुराणे श्री अङ्गारकस्तोत्रं सम्पूर्णम्।।
।। इति शुभम्।।
मंगल देव की आरती
मंगल मूरति जय जय हनुमंता, मंगल-मंगल देव अनंता।
हाथ व्रज और ध्वजा विराजे, कांधे मूंज जनेऊ साजे।
शंकर सुवन केसरी नंदन, तेज प्रताप महा जगवंदन।
लाल लंगोट लाल दोऊ नयना, पर्वत सम फारत है सेना।
काल अकाल जुद्ध किलकारी, देश उजारत क्रुद्ध अपारी।
रामदूत अतुलित बलधामा, अंजनि पुत्र पवनसुत नामा।
महावीर विक्रम बजरंगी, कुमति निवार सुमति के संगी।
भूमि पुत्र कंचन बरसावे, राजपाट पुर देश दिवावे।
शत्रुन काट-काट महिं डारे, बंधन व्याधि विपत्ति निवारे।
आपन तेज सम्हारो आपै, तीनों लोक हांक ते कांपै।
सब सुख लहैं तुम्हारी शरणा, तुम रक्षक काहू को डरना।
तुम्हरे भजन सकल संसारा, दया करो सुख दृष्टि अपारा।
रामदण्ड कालहु को दण्डा, तुम्हरे परसि होत जब खण्डा।
पवन पुत्र धरती के पूता, दोऊ मिल काज करो अवधूता।
हर प्राणी शरणागत आए, चरण कमल में शीश नवाए।
रोग शोक बहु विपत्ति घराने, दुख दरिद्र बंधन प्रकटाने।
तुम तज और न मेटनहारा, दोऊ तुम हो महावीर अपारा।
दारिद्र दहन ऋण त्रासा, करो रोग दुख स्वप्न विनाशा।
शत्रुन करो चरन के चेरे, तुम स्वामी हम सेवक तेरे।
विपति हरन मंगल देवा, अंगीकार करो यह सेवा।
मुद्रित भक्त विनती यह मोरी, देऊ महाधन लाख करोरी।
श्रीमंगलजी की आरती हनुमत सहितासु गाई।
होई मनोरथ सिद्ध जब अंत विष्णुपुर जाई।
मंगल देव की स्तुति
जय जय जय मंगल सुखदाता,
लोहित भौमादिक विख्याता ।
अंगारक कुज रुज ऋणहारी,
करहुं दया यही विनय हमारी ।
हे महिसुत छितिसुत सुखराशी,
लोहितांग जय जन अघनाशी ।
अगम अमंगल अब हर लीजै,
सकल मनोरथ पूरण कीजै ।
इस तरह आप मंगल देव के मंत्र, व्रत और पूजा करके मंगल ग्रह को प्रसन्न कर सकते है. कुंडली में दूसरे ग्रहों को प्रसन्न करने के लिए उनके मंत्र, व्रत और पूजा की जानकारी जानने के लिए हमारी ग्रह देव मंत्र एवं उपाय की सूची को देखिये
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