धनतेरस से दीपावली पूजन और गोवर्धन पूजा – सामग्री और विधि

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धनतेरस पूजा-मंगलवार, 2 नवम्बर, 2021 – धनतेरस पूजा मुहूर्त – 18:22 से 20:09 – अवधि – 01 घण्टा 48 मिनट

धनत्रयोदशी मुहूर्त अन्य शहरों में

  • 18:47 से 20:32 – पुणे
  • 18:17 से 20:11 – नई दिल्ली
  • 18:29 से 20:10 – चेन्नई
  • 18:25 से 20:18 – जयपुर
  • 18:30 से 20:14 – हैदराबाद 
  • 18:18 से 20:12 – गुरुग्राम
  • 18:14 से 20:09 – चण्डीगढ़
  • 17:42 से 19:31 – कोलकाता
  • 18:50 से 20:36 – मुम्बई 
  • 18:40 से 20:21 – बेंगलूरु
  • 18:45 से 20:34 – अहमदाबाद 
  • 18:16 से 20:10 – नोएडा

दिपावली पूजा- लक्ष्मी पूजा बृहस्पतिवार, 4 नवम्बर, 2021 पर

लक्ष्मी पूजा मुहूर्त – 18:14 से 20:09 – अवधि – 01 घण्टा 55 मिनट्स

प्रदोष काल – 17:36 से 20:09 – वृषभ काल – 18:14 से 20:13

लक्ष्मी पूजा मुहूर्त अन्य शहरों में

  • 18:39 से 20:32 – पुणे
  • 18:09 से 20:04 – नई दिल्ली
  • 18:21 से 20:10 – चेन्नई
  • 18:17 से 20:14 – जयपुर
  • 18:22 से 20:14 – हैदराबाद
  • 18:10 से 20:05 – गुरुग्राम
  • 18:07 से 20:01 – चण्डीगढ़
  • 17:34 से 19:31 – कोलकाता
  • 18:42 से 20:35 – मुम्बई
  • 18:32 से 20:21 – बेंगलूरु
  • 18:37 से 20:33 – अहमदाबाद
  • 18:08 से 20:04 – नोएडा

कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन देवता धन्वंतरि के अतिरिक्त देवी लक्ष्मी और धन के देव कुबेर की पूजा पूरी श्रद्धा के साथ की जाती है.

क्या करें

  1. पूजा की तैयारी सूर्योदय से पहले नित्यकर्म और स्नान आदि से निपटकर शुरू कर देनी चाहिए.
  2. पूजा किसी पुजारी से करवाई जानी चाहिए या फिर उनके निर्देशों का पालन करते हुए पूजा करें.
  3. मुहूर्त के अनुसार पूजन की तैयारी करें. पूजा के लिए देव कुबेर की मूर्ति का उपयोग करें. मूर्ति नहीं होने की स्थिति में कुबेर की तस्वीर का उपयोग किया जा सकता है.
  4. पूजा के लिए तिजोरी या ज्वेलरी बॉक्स का भी उपयोग अच्छा होता है. यदि कुबेर यंत्र का प्रयोग पूजा और साधना के लिए किया जाए, तो यह बहुत ही शुभ प्रभाववाला साबित होता है.
  5. पूजा प्रारंभ करने से पहले तिजोरी या आभूषण के बक्से के ऊपर सिंदूर के साथ स्वस्तिक का चिह्न बना दें. हाथ में कलेवा बांधें.
  6. कुबेर की पूजा में पीले वस्त्रों व पीली वस्तुओं का प्रयोग करें.. पीले आसन पर बैठकर पूजा करें.
  7. धनतेरस की शाम को मिट्टी के दीपक में तिल का तेल भरकर नई रूई की बाती जलाएं, जिसका मुख दक्षिण की ओर होना चाहिए.
  8. धनतेरस के मौ़के पर बर्तन, आभूषण आदि की ख़रीद अपनी राशि के अनुसार करें. इसके साथ दूसरी कोई उपयोग में आनेवाली वस्तु भी ख़रीदें. बर्तनों में आप पीतल, तांबे या चांदी के बर्तन ख़रीद सकते हैं. सोने या चांदी का सिक्का ख़रीदना भी शुभ होता है.
  9. बर्तनों के अतिरिक्त दूसरी वस्तुओं में कपड़े, स्टेशनरी, सुगंध, हल्दी, तेजपत्ता, पत्थर की निर्मित वस्तु या मूर्ति, मेवे-मिठाई आदि हो सकते हैं.

क्या न करें?

  1. कुबेर देव की पूजा के लिए अपनी सुविधा को ध्यान में रखते हुए शुभ मुहूर्त की अनदेखी न करें.
  2. दीपदान के लिए मिट्टी का दीपक ही जलाएं और उसमें तिल के तेल का इस्तेमाल करें. जलते दीपक का मुख उत्तर, पूरब या पश्चिम की दिशा में न रखें.
  3. सात्विक भोजन करें. मांसाहार या शराब का सेवन न करें.
  4. घर या आसपास के किसी भी कोने में गंदगी न रहने दें.
  5. उपहार में चाकू या चमड़े आदि के सामान न बांटें.

वास्तु टिप्स

  1. नकारात्मक ऊर्जा देनेवाले सामानों को घर से निकाल बाहर करें. ऐसी वस्तुओं के रूप में पुराने टूटे बर्तन, अख़बार, पत्र-पत्रिकाएं, टूटे खिलौने, बंद घड़ियां, ख़राब फोन, कंप्यूटर आदि के सामान या दूसरी तरह के इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स आदि हो सकते हैं.
  2. धनागमन के लिए घर के प्रवेशद्वार पर की जानेवाली सजावट के लिए चावल के आटे, रंगीन पाउडर, चॉक, फूल, आम के पत्ते का प्रयोग करें.
  3. वास्तु के अनुसार कोई भी पूजा घर के उत्तरी हिस्से में शुभ मानी गई है. पूजा के समय घर में गुलाब या चंदन की ख़ुशबूवाली अगरबत्ती का ही प्रयोग करें.
  4. घर में मिट्टी के चार दीये एक साथ रखें. इसका अर्थ लक्ष्मी, गणेश, कुबेर और इंद्र से है.

नरक चतुर्दशी

  1. यह दूसरे दिन मनाया जानेवाला पर्व है, जिसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है. इस दिन की शाम को दीपदान करने की मान्यता है, जो यमराज के लिए किया जाता है.
  2. इस दिन स्नानादि के बाद मंदिर में भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण की पूजा करें.
  3. रात को घर के सबसे बुज़ुर्ग सदस्य द्वारा एक दीपक जलाकर पूरे घर में घुमाने के बाद उस दीप को घर से बाहर कहीं दूर इस मान्यता और विश्वास के साथ रखें कि सभी बुराइयां और हानिकारक शक्तियां घर से बाहर चली जाएं.
  4. मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा में चावल की ढेरी बनाकर उस पर दीया जलाएं.
  5. यमराज को अकाल मृत्यु से दूर रखने की प्रार्थनाकरें.

दीपावली

धार्मिक व सामाजिक मान्यता के अनुसार पांच दिनों तक हिंदू रीति से उत्सव की तरह मनाया जानेवाला त्योहार है दिवाली.

पूजन सामग्री और विधि

सामग्री: दीपक, कमल के फूल, जावित्री, केसर, रोली, चावल, पान के पांच पत्ते, सुपारी, एक थाली में फल, दूसरी थाली में गुलाब और गेंदा आदि के फूल, दूध, खील-बताशे, नारियल, सिंदूर, सूखे मेवे, मिठाई की भरी थाल, दही, गंगाजल, दूब, अगरबत्ती, आंगन आदि में जलाने के लिए 11 या 21 की संख्या में मिट्टी के दीपक, रूई, कलावा, तांबे का कलश और तांबे के अन्य पात्र, सिक्के तथा रुपए.

विधि: सबसे पहले थाली में या भूमि को शुद्ध करके नवग्रह बनाएं या नवग्रह का यंत्र स्थापित करें. इसके साथ ही एक तांबे या मिट्टी का कलश रखें, जिसमें गंगाजल, दूध, शहद, सुपारी, सिक्के और लौंग वग़ैरह डालें तथा उसे लाल कपड़े से ढंककर एक कच्चे नारियल और कलावे से बांध दें.

बनाए गए नवग्रह यंत्र के स्थान पर रुपया, सोना या चांदी का सिक्का, देवी लक्ष्मी की मूर्ति और मिट्टी के बने हुए लक्ष्मी, गणेश, सरस्वती, ब्रह्मा, विष्णु, महेश आदि देवी-देवताओं की मूर्तियां या चित्रों से सजाएं.

यदि कोई धातु की मूर्ति हो, तो उसे साक्षात रूप मानकर दूध, दही और गंगाज

  • ल से स्नान कराकर अक्षत-चंदन का शृंगार करें और फल-फूल आदि से सजाएं. इसके दाहिनी ओर घी या तिल का एक पंचमुखी दीपक अवश्य जलाएं.
  • घर के किसी मुख्य सदस्य या नित्य पूजा-पाठ करनेवाले व्यक्ति को महालक्ष्मी पूजन के समय तक उपवास रखना चाहिए.
  • ध्यान रहे पूजन के लिए उत्तर या पूर्व दिशा में मुख करके बैठें.
  • सबसे पहले गणेश और अंबिका का पूजन करें. फिर कलश स्थापन और नवग्रह पूजन के बाद लक्ष्मी समेत दूसरे देवी-देवताओं का पूजन करें.
  • इस पूजन के बाद तिजोरी में गणेश तथा लक्ष्मी की मूर्ति रखकर विधिवत पूजा करें. पूजन के स्थान पर चौमुखा दीपक जलाएं तथा पूजा के बाद घर के कोने-कोने में दीपक जलाकर रखें.
  • कारोबारियों को अपने कार्यक्षेत्र पर बही-खातों की पूजा करना चाहिए. पूजा के बाद जितनी जैसी श्रद्धा हो, उसके अनुरूप घर के छोटे बच्चों, बहू-बेटियों को रुपया-पैसा या दूसरी वस्तुओं का दान देना चाहिए.
  • रात के बारह बजे दुकान की गद्दी की भी विधिपूर्वक पूजा करें. परंपरा के अनुसार दीपावली पूजन के बाद चूने या गेरू में रूई भिगोकर चक्की, चूल्हा, सिल-बट्टा तथा सूप पर तिलक करना चाहिए.
  • देवी लक्ष्मी की पूजा के समय उनके मंत्र-ॐ श्रीं हृीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम: का लगातार उच्चारण करते रहें.

क्या करें?

दीपावली की पूजा किसी योग्य पुजारी से विधि-विधान से संपन्न करवाएं.

  • पूजा की तैयारी सूर्योदय से पहले ही नित्यकर्म एवं स्नान आदि से निबटकर कर लें.
  • पूजन से पहले घर की अच्छी तरह साफ़-सफ़ाई करें. घर को फूल, आम के पत्ते, रंगोली, रंगीन बल्ब आदि से सजाएं.
  • पूजाघर सही तरह से सुसज्जित होना चाहिए. सजावट में विविध रंगों का
  • इस्तेमाल करें.
  • पूजा के क्रम में अच्छी ख़ुशबूदार अगरबत्ती या धूप का इस्तेमाल करें. इनमें गुलाब या चंदन की धूप सबसे बेहतर रहती है.
  • घर के प्रवेश द्वार के दोनों ओर दीया जलाएं.
  • क्या न करें?
  • घर में व प्रवेश द्वार पर कहीं भी गंदगी न रहने दें.
  • रंगों, फूलों आदि से सजावट करते हुए या रंगोली बनाते समय ध्यान रहे कि काले या गाढ़े भूरे रंग का इस्तेमाल न के बराबर हो.
  • पूजा का स्थान घर के दक्षिण, पश्चिम या उत्तर की ओर न बनाएं. किसी भी एक देवी या देवता की दो मूर्तियां या तस्वीरें न रखें.
  • घर के कोने-कोने में नमक मिश्रित जल का छिड़काव करने के बाद अपना हाथ धोना नहीं भूलें.
  • उपहार में चमड़े की बनी वस्तुएं किसी को भी न दें.

वास्तु टिप्स

घर के आंगन, बड़े हॉल या फिर प्रवेश द्वार पर रंगोली बनाएं. उसके बीच में दीपक जलाएं. दीये के मुख को दक्षिण-पूर्व दिशा में रखकर जलाने से सुख-समॄिद्ध बढ़ती है. इसी के साथ मुख्य द्वार पर घर में प्रवेश करते हुए पैरों के

निशान बनाएं.

  • घर का उत्तरी भाग धन का प्रतिनिधित्व करता है, अत: लक्ष्मी पूजा इसी हिस्से में की जानी चाहिए.
  • पूजाघर में भगवान गणेश को देवी लक्ष्मी के बाईं ओर तथा देवी सरस्वती को लक्ष्मी के दाईं ओर रखना चाहिए. सभी देवी-देवताओं की मूर्तियां या तस्वीरें बैठी हुई अवस्था में होनी चाहिए, जिन्हें उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुख किए हुए

रखना चाहिए.

  • पानी का कलश पूर्व या उत्तर दिशा में रखें. पूजा स्थल या पूजा घर में मूर्तियां रखते समयइस बात का ध्यान रखें कि वे किसी भी दरवाज़े के सामने या रास्ते में न पड़ें.
  • पूजा स्थल पर पूर्व या उत्तर की दिशा में एक चौड़े बर्तन के पानी में तैरती हुई ताज़ा गुलाब की पंखुड़ियां रखें.
  • ॐ या स्वस्तिक के चिह्न को उत्तर या पूर्व दिशा की दीवारों पर ही लगाएं.
  • जब घर के बाहर दीये जलाएं, तो इन्हें चार के गुणक के रूप में रखें. प्रत्येक दीया लक्ष्मी, गणेश, कुबेर और इंद्र का प्रतिनिधित्व करता है.
  • उपहार के लिए धातु के सामान या कपड़े आदि को उपयुक्त माना गया है. सजावटी वस्तुओं में पेंटिंग, क्रिस्टल बॉल आदि हो सकते हैं.
  • घर की सजावट के क्रम में प्रकाश-व्यवस्था घर के मुख्य द्वार की दिशा के अनुरूप होनी चाहिए. यदि मुख्य द्वार उत्तर या उत्तर-पश्चिम की ओर हो, तो हरे या पीले रंग की रोशनी का इस्तेमाल करें.
  • यदि मुख्य प्रवेश पूर्व की ओर हो, तो पीले रंग की रोशनी का इस्तेमाल करें.
  • यदि मुख्य प्रवेश दक्षिण-पूर्व हो, तो लाल रंग की रोशनी का इस्तेमाल करें.
  • यदि प्रवेश द्वार दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम या पश्चिम की ओर हो, तो लाल और नीले रंग की रोशनी का उपयोग करना चाहिए. इसी तरह से उत्तर-पूर्व की दिशा में प्रवेश द्वार होने की स्थिति में नीला रंग सही होता है.

गोवर्धन पूजा

दिवाली की अगली सुबह गोवर्धन पूजा होती है. इस दिन गायों की पूजा की जाती है. मान्यता है कि गाय देवी लक्ष्मी का स्वरूप है. भगवान श्रीकृष्ण ने आज ही के दिन इंद्र का मान-मर्दन कर गिरिराज पूजन किया था.

  • गायों को सुबह स्नान करवाकर फूल- माला, धूप, चंदन आदि से उनकी पूजा की जाती है. गाय के गोबर से गोवर्धन बनाया जाता है.
  • पूजा के बाद गोवर्धनजी की सात परिक्रमाएं उनकी जय-जयकार करते हुए की जाती है.
  • गोवर्धनजी गोबर से लेटे हुए पुरुष के रूप में बनाए जाते हैं. इनकी नाभि के स्थान पर एक कटोरी या मिट्टी का दीपक रख दिया जाता है. फिर इसमें दूध, दही, गंगाजल, शहद, बताशे आदि पूजा करते समय डाल दिए जाते हैं और बाद में इसे प्रसाद के रूप में बांट दिया जाता है.

क्या करें?

  • गोवर्धन पूजा पूरे विधि-विधान के साथ शुभ मुहूर्त में करें. बेहतर होगा किसी पंडित से पूजा करवाएं.
  • पूजा से पहले प्रात:काल तेल मालिश कर स्नान करें.
  • घर के बाहर गोवर्धन पर्वत बनाएं. फिर पूजा करें.
  • क्या न करें?
  • गोवर्धन पूजा और अन्नकूट का आयोजन बंद कमरे में न करें.
  • गायों की पूजा करते हुए ईष्टदेव या भगवान कृष्ण की पूजा करना न भूलें.
  • इस दिन चंद्र का दर्शन न करें.

भैया दूज

दिवाली के अंतिम दिनों का पांचवां त्योहार भैया दूज है.

  • भाई दूज के दिन विवाहित या अविवाहित बहनों को प्रात: स्नान आदि से निपटकर भाई के स्वागत की तैयारी करनी चाहिए.
  • इस दिन यम की पूजा या भाई के आवभगत का तरीक़ा अलग होता है. इसके अनुसार बहनों को भाई के माथे पर तिलक लगाकर उनकी आरती उतारनी चाहिए और कलावा बांधकर मुंह मीठा करने के लिए उन्हें माखन-मिश्री खिलानी चाहिए. इस विधि के संपन्न होने तक दोनों को व्रती रहना चाहिए.
  • बहनों को शाम के समय यमराज के नाम से चौमुख दीया जलाकर घर के बाहर रखना चाहिए. इस समय आसमान में चील उड़ती दिखाई देने पर बहुत ही शुभ माना जाता है. इस संदर्भ में मान्यता यह है कि बहनें भाई की आयु के लिए जो दुआ मांग रही हैं, उसे यमराज ने क़बूल कर लिया है.

क्या करें?

  • भाई को अपनी विवाहिता बहन के घर अवश्य जाना चाहिए.
  • बहन को अपने भाई का आतिथ्य सत्कार करना चाहिए और तिलक लगाकर उनके उज्ज्वल भविष्य, जीवन, स्वास्थ्य आदि की कामना करनी चाहिए.

क्या न करें?

  • भाई को अपने घर बहन के आने का इंतज़ार नहीं करना चाहिए, बल्कि उसे ही बहन के घर जाना चाहिए.
  • बहन यमदेव की पूजा तक कुछ भी न खाए-पीए

मंत्र

ॐ यक्षराजाय विद्महे ।
वै श्रवणाय धिमही ।
तन्नो कुबेर प्रचोदयात ॥
ॐ श्री कुबेराय नमः धनम् देहि देहि ।
रुणा पहारं कुरु कुरु स्वाहा ।

।। चालीसा ।।

।। दोहा ।।

जैसे अटल हिमालय और जैसे अडिग सुमेर ।
ऐसे ही स्वर्ग द्वार पे, अविचल खडे कुबेर ।
विघ्न हरण मंगल करण, सुनो शरणागत की टेर ।
भक्त हेतु वितरण करो, धन माया के ढेर ॥

।। पाठ ।।

जै जै जै श्री कुबेर भंडारी ।
धन माया के तुम अधिकारी ।।
तप तेज पुंज निर्भय भय हारी ।
पवन बेग सम तनु बलधारी ।।
स्वर्ग द्वार की करे पहरे दारी ।
सेवक इन्द्र देव के आज्ञा कारी ।।
यक्ष यक्षणी की है सेना भारी ।
सेनापती बने युद्ध में धनुधारी ।।
महा योद्धा बन शस्त्र धारै ।
युद्ध करै शत्रु को मारै ।।
सदा विजयी कभी ना हारै ।
भगत जनों के संकट टारै ।।
प्रपितामह हैं स्वयं विधाता ।
पुलिस्त वंश के जन्म विख्याता ।।
विश्रवा पिता इडापिडा जी माता ।
विभिषण भगत आपके भ्राता ।।
शिव चरणों में जब ध्यान लगाया ।
घोर तपस्या करी तन को सुखाया ।।
शिव वरदान मिले देवत्व पाया ।
अम्रूत पान करी अमर हुई काया ।।
धर्म ध्वजा सदा लिए हाथ में ।
देवी देवता सब फिरैं साख में ।।
पीताम्बर वस्त्र पहरे गात में ।
बल शक्ति पुरी यक्ष जात में ।।
स्वर्ण सिंघासन आप विराजैं ।
त्रशुल गदा हाथ में साजैं ।।
शंख म्रुदंग नगारे बाजैं ।
गंधर्व राग मधुर स्वर गाजैं ।।
चौंसठ योगनी मंगल गावैं ।
रिद्धी सिद्धी नित भोग लगावैं ।।
दास दासनी सिर छत्र फिरावैं ।
यक्ष यक्षणी मिल चंवर ढुलावैं ।।
रिषियों में जैसे परशुराम बली हैं ।
देवन्ह में जैसे हनुमान बली हैं ।।
पुरुषों में जैसे भीम बली हैं ।
यक्षों में ऐसे ही कुबेर बली हैं ।।
भगतों में जैसे प्रल्हाद बडे हैं ।
पक्षियो में जैसे गरुड बडे हैं ।।
नागो मे जैसे शेष बडे हैं ।
वैसे ही भगत कुबेर बडे हैं ।।
कांधे धनुष हा में भाला ।
गल फुलो की पहरी माला ।।
स्वर्ण मुकुट अरु देह विशाला ।
दुर दुर तक होए उजाला ।।
कुबेर देव को जो मन में धारे ।
सदा विजय हो कभी ना हारे ।।
बिगडे काम बन जाए सारे ।
अन्न धन के रहे भरे भन्डारे ।।
कुबेर गरीब को आप उभारैं ।
कुबेर कर्ज को शीघ्र उतारैं ।।
कुबेर भगत के संकट टारैं ।
कुबेर शत्रु को क्षण में मारैं ।।
शीघ्र धनी जो होना चाहए ।
क्युं नही यक्ष कुबेर मनाए ।।
यह पाठ जो पढे पढाए ।
दिन दुगना व्यापार बढाए ।।
भूत प्रेत को कुबेर भगावैं ।
अडे काम को कुबेर बनावैं ।।
रोग शोक को कुबेर नशावैं ।
कलंक कोढ को कुबेर हटावैं ।।
कुबेर चढे को और चढादे ।
कुबेर गिरे को पुनः उठादे ।।
कुबेर भाग्य को तुरन्त जगादे ।
कुबेर भुले को राह बतादे ।।
प्यासे की प्यास कुबेर बुझादे ।
भुखे की भुख कुबेर मिटादे ।।
रोगी का रोग कुबेर घटादे ।
दुखिया क दुख कुबेर छुटादे ।।
बांझ की गोद कुबेर भरादे ।
कारोबार को कुबेर बढादे ।।
कारागार से कुबेर छुडादे ।
चोर ठगों से कुबेर बचादे ।।
कोर्ट केस में कुबेर जितावैं ।
जो कुबेर को मन में ध्यावै ।।
चुनाव में जीत कुबेर करावै ।
मंत्री पद पर कुबेर बिठावैं ।।
पाठ करे जो नित मन लाई ।
उसकी कला हो सदा सवाई ।।
जिसपे प्रसन्न कुबेर की माई ।
उसका जीवन चले सुखदाई ।।
जो कुबेर का पाठ करावै ।
उसका बेडा पार लगावै ।।
उजडे घर को पुनः बसावै ।
शत्रु को भी मित्र बनावै ।।
सहस्त्र पुस्तक जो दान कराई ।
सब सुख भोग पदार्थ पाई ।।
प्राण त्याग कर स्वर्ग में जाई ।
क्रुष्णदत्त कुबेर कीर्ती गाई ।।

।। दोहा ।।

शिव भक्तों में अग्रणी, श्री यक्षराज कुबेर ।
हिरदे मे ज्ञान प्रकाश भर, करदो दूर अंधेर ।।
करदो दूर अंधेर अब, जरा करो ना देर ।
शरण पडा हुं आपकी, दया की द्रुष्टी फेर ।।
हरी ॐ दया की द्रुष्टी फेर

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Gyanchand Bundiwal
Gyanchand Bundiwal

Gemologist, Astrologer. Owner at Gems For Everyone and Koti Devi Devta.

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