धनतेरस पूजा – मंगलवार, 2 नवम्बर, 2021

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धनतेरस पूजा – मंगलवार, 2 नवम्बर, 2021

धनतेरस (धनत्रयोदशी), धनतेरस पूजा मंगलवार, 2 नवम्बर, 2021
धनतेरस पूजा मुहूर्त – 18:22 से 20:09, अवधि – 01 घण्टा 48 मिनट
यम दीपम मंगलवार, 2 नवम्बर, 2021 को
प्रदोष काल – 17:37 से 20:09 – वृषभ काल – 18:22 से 20:21
त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ – 2,नवम्बर, 2021 को 11:31 बजे
त्रयोदशी तिथि समाप्त – 3,नवम्बर,2021 को 09:02 बजे

2 नवम्बर, 2021 दिन का चौघड़िया 
चर – 09:07 से 10:32  – लाभ -10:32 से 11:57
अमृत – 11:57 से 13:22 – शुभ -14:47 से 16:12
लाभ – 19:12 से 20:47 – शुभ -22:22 से 23:57

धनतेरस महत्व

धन्वंतरि जयंती – आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि का अमृत कलश के साथ समुद्र मंथन से प्राकट्य

यम दीपदान – अकाल मृत्यु के भय से बचने के लिए

कुबेर पूजन

लक्ष्मी पूजन

बर्तन खरीदने की परम्परा

आभूषण, चाँदी सिक्का, सूखा धनिया खरीदना

सांयकालीन दीपदान

इस वर्ष 2021 को धनतेरस के दिन तुला संक्रांति है जो विषुव संक्रांति है। इसमें दान करने का अनंतगुना फल मिलता है। विशेषतः अनेक प्रकार के धान्य का दान करें।

धनतेरस के दिन सजावट

घर को पीले  लाल रंग के फूलों से सजायें। घर में चमेली या चंपा के फूलों की खूशबू का इस्‍तेमाल करें। मुख्यद्वार पर सजावट के लिए चमेली, जूही, शतावरी आदि लगाये जा सकते हैं।

प्रातःकाल स्नान करने के बाद हल्दी तथा चावल पीसकर उसके घोल से घर के प्रवेश द्वार पर ॐ अंकित करें। ऐसा करने से आपको धन की प्राप्ति होगी।

धनतेरस के दिन खरीददारी

धनतेरस को बर्तन तथा चांदी खरीदना बहुत शुभ होगा। जो व्यक्ति कहता है धनतेरस के दिन सोना जरूर खरीदना चाहिए मैं उनसे कहना चाहता हूँ “तेते पाँव पसारिये जेती लंबी सौर”। वैसे मुझे लगता है चाँदी / पीतल / ताँबा धातु से बने आइटम्स खरीदना बहुत शुभ है।

धनतेरस पर लोग चाँदी का सिक्का खरीदते हैं जिसका प्रयोग दीवाली के दिन लक्ष्मी पूजन में करते हैं।

धनतेरस की शाम को आप एक चांदी की कटोरी खरीदकर उस कटोरी का पूजन करें, फिर दीपावली की रात्रि में उस कटोरी में साबूदाने की खीर से मां लक्ष्मी को भोग अर्पित करें और प्रसाद के रूप में उसी खीर का स्वयं सेवन करें। अब आप प्रत्येक पूर्णिमा को उस कटोरी में साबूदाने की खीर का सेवन करें। यह उपाय बहुत ही प्रभावशाली है। इसके प्रभाव से आप आर्थिक संकट में नहीं आ सकते हैं।

इस दिन सूखे धनिया के बीज खरीद कर घर में रखना भी परिवार की धन संपदा में वृ्द्धि करता है.

अगर मंगल आपकी कुंडली का धनेश अथवा लाभेश है (मीन लग्न, तुला लग्न, मिथुन लग्न, मकर लग्न वाले जातक) तथा पंडित /ज्योतिषी ये कहते हैं की मंगल की वजह से आपकी कुंडली में धन बाधा दोष, दारिद्र योग अथवा और कोई घन सम्बंधित दोष बन रहा है तो आज का दिन उसका निवारण करने का दिन है। आज के दिन स्वर्ण अथवा ताम्रपत्र निर्मित मंगल यन्त्र खरीद कर अपने घर के पूजाघर में स्थापित करें। ज्वेलर/सुनार इसको बनाने में समय ले सकता है अतः जल्दी ही आर्डर कर दें परन्तु घर धनतेरस को लाएं।

अगर आपके पास श्रीयंत्र तथा कुबेर यन्त्र नहीं है तो आज खरीदें। श्रीयंत्र स्फटिक अथवा चांदी अथवा पारा का बना हुआ लें।

धनतेरस के दिन यमदीपदान

इस दिन यम-दीपदान जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है। पूरे वर्ष में एक मात्र यही वह दिन है, जब मृत्यु के देवता यमराज की पूजा सिर्फ  दीपदान करके की जाती है। कुछ लोग नरक चतुर्दशी के दिन भी दीपदान करते हैं। स्कंदपुराण में लिखा है  

कार्तिकस्यासिते पक्षे त्रयोदश्यां निशामुखे ।
यमदीपं बहिर्दद्यादपमृत्युर्विनिश्यति ।।

अर्थात कार्तिक मासके कृष्णपक्ष की त्रयोदशीके दिन सायंकाल में घर के बाहर यमदेव के उद्देश्य से दीप रखने से अपमृत्यु का निवारण होता है ।

पद्मपुराण में लिखा है

कार्तिकस्यासिते पक्षे त्रयोदश्यां तु पावके।
यमदीपं बहिर्दद्यादपमृत्युर्विनश्यति।।

कार्तिक के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी को घर से बाहर यमराज के लिए दीप देना चाहिए इससे दुरमृत्यु का नाश होता है।

यम-दीपदान सरल विधि

यमदीपदान प्रदोषकाल में करना चाहिए । इसके लिए आटे का एक बड़ा दीपक लें। गेहूं के आटे से  बने दीप में तमोगुणी ऊर्जा तरंगे एवं आपतत्त्वात्मक तमोगुणी तरंगे (अपमृत्यु के लिए ये तरंगे कारणभूत होती हैं) को शांत करने की क्षमता रहती है । तदुपरान्त स्वच्छ रुई लेकर दो लम्बी बत्तियॉं बना लें । उन्हें दीपक में एक -दूसरे पर आड़ी इस प्रकार रखें कि दीपक के बाहर बत्तियों के चार मुँह दिखाई दें । अब उसे तिल के तेल से भर दें और साथ ही उसमें कुछ काले तिल भी डाल दें । प्रदोषकाल में इस प्रकार तैयार किए गए दीपक का रोली , अक्षत एवं पुष्प से पूजन करें । उसके पश्चात् घर के मुख्य दरवाजे के बाहर थोड़ी -सी खील अथवा गेहूँ से ढेरी बनाकर उसके ऊपर दीपक को रखना है । दीपक को रखने से पहले प्रज्वलित कर लें और दक्षिण दिशा (दक्षिण दिशा यम  तरंगोंके लिए पोषक होती है अर्थात दक्षिण दिशा से यमतरंगें  अधिक मात्रामें आकृष्ट एवं प्रक्षेपित होती हैं) की ओर देखते हुए चार मुँह के दीपक को खील आदि की ढेरी के ऊपर रख दें । ‘ॐ यमदेवाय नमः ’ कहते हुए दक्षिण दिशा में नमस्कार करें ।

यम दीपदान का मंत्र ।
मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन श्यामया सह |
त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम ||

इसका अर्थ है, धनत्रयोदशीपर यह दीप मैं सूर्यपुत्रको अर्थात् यमदेवताको अर्पित करता हूं । मृत्युके पाशसे वे मुझे मुक्त करें और मेरा कल्याण करें ।

धनतेरस के दिन धन्वंतरि जयंती

समुद्र मंथन के समय धनत्रयोदशी के दिन अमृतकलश हाथमें लेकर देवताओं के वैद्य भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए । इसीलिए यह दिन भगवान धन्वंतरि के जन्मोत्सव के रूपमें मनाया जाता है ।

इस दिन नीमके पत्तोंसे बना प्रसाद ग्रहण करनेका महत्त्व है । माना जाता है कि, नीमकी उत्पत्ति अमृतसे हुई है और धन्वंतरि अमृतके दाता हैं । अत: इसके प्रतीकस्वरूप धन्वंतरि जयंतीके दिन नीमके पत्तोंसे बना प्रसाद बांटते हैं ।

आरोग्य के देवता धनवंतरी को प्रसन्न करने के लिए निम्न मंत्र का उच्चारण करते हुए धन्वन्तरि देव को प्रणाम करें

ॐ शंखं चक्रं जलौकां दधिदमृतघटं चारुदोर्भिश्चतुर्मिः।
सूक्ष्मस्वच्छातिहृद्यांशुक परिविलसन्मौलिमंभोजनेत्रम॥
कालाम्भोदोज्ज्वलांगं कटितटविलसच्चारूपीतांबराढ्यम।
वन्दे धन्वंतरिं तं निखिलगदवनप्रौढ़दावाग्निलीलम॥
ऊं नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:।
अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय ॥
त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप।
श्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥

हस्त नक्षत्र में रोग से निदान पाने के लिए ब्राह्मण को चांदी दान करना व जल सेवा लाभदायक होती है।

धनतेरस के दिन कुबेर पूजन

कुबेर धन सम्पदा की दिशा उत्तर के लोकपाल हैं। ये भूगर्भ के भी स्वामी हैं। माना जाता है धनतेरस के दिन उनकी पूजा विशेष फलदायी है

रात्रि में कुबेर यन्त्र की स्थापना अपने घर के मंदिर में करें। यह कुबेर यन्त्र किसी भी पूजा की दूकान पर बहुत सस्ता मिल जाएगा। कागज़ का तो मात्र  ? रूपए में मिल जाएगा। बाकी अगर आप धनवान हैं तो अन्य धातु का भी ले सकते हैं। निम्न मंत्र का जप करें।

‘यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन-धान्य अधिपतये
धन-धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा।’

समस्त धन सम्पदा के स्वामी कुबेर के लिए धनतेरस में सायंकाल 13 दीप समर्पित किये जाते हैं।

धनतेरस के दिन श्री यन्त्र पूजन

धन त्रयोदशी और दीपावली को यंत्रराज श्रीयंत्र की पूजा का अति विशिष्ट महत्व है । श्रीयंत्र का उल्लेख विभिन्न प्राचीन भारतीय ग्रंथों में मिलता है। महापुराणों में श्री यंत्र को देवी महालक्ष्मी का प्रतीक कहा गया है । इन्हीं पुराणों में वर्णित महालक्ष्मी स्वयं कहती हैं- ‘श्री यंत्र मेरा प्राण, मेरी शक्ति, मेरी आत्मा तथा मेरा स्वरूप है। श्री यंत्र के प्रभाव से ही मैं पृथ्वी लोक पर वास करती हूं।’’ श्री यंत्र में 2816 देवी देवताओं की सामूहिक अदृश्य शक्ति विद्यमान रहती है। इसीलिए इसे यंत्रराज, यंत्र शिरोमणि, श्रीचक्र, त्रैलोक्यमोहन चक्र, षोडशी यंत्र व देवद्वार भी कहा गया है।

श्रीयंत्र की अद्भुत शक्ति के कारण इसके दर्शन मात्र से ही लाभ मिलना शुरू हो जाता है। इस यंत्र को मंदिर या तिजोरी में रखकर प्रतिदिन पूजा करने व प्रतिदिन कमलगट्टे की माला पर श्री सूक्त के पाठ श्री लक्ष्मी मंत्र के जप के साथ करने से लक्ष्मी प्रसन्न रहती है और धनसंकट दूर होता है ।  यह यंत्र मनुष्य को धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष देने वाला है। इसकी कृपा से मनुष्य को अष्टसिद्धि व नौ निधियों की प्राप्ति हो सकती है । श्री यंत्र के पूजन से सभी रोगों का शमन होता है और शरीर की कांति निर्मल होती है । इसकी पूजा से पंचतत्वों पर विजय प्राप्त होती है । इस यंत्र की कृपा से मनुष्य को धन, समृद्धि, यश, कीर्ति, ऐश्वर्य आदि की प्राप्ति होती है। श्री यंत्र के पूजन से रुके हुए कार्य बनते हैं । श्री यंत्र की श्रद्धापूर्वक नियमित रूप से पूजा करने से दुख दारिद्र्य का नाश होता है । श्री यंत्र की साधना उपासना से साधक की शारीरिक और मानसिक शक्ति पुष्ट होती है । इस यंत्र की पूजा से दस महाविद्याओं कीे कृपा भी प्राप्त हो सकती है । श्री यंत्र की साधना से आर्थिक उन्नति होती है और व्यापार में सफलता मिलती है ।

आज श्री यन्त्र की विधिवत  स्थापना करें। श्री सूक्तम, लक्ष्मी सूक्तम, कनकधारा स्तोत्र, लक्ष्मी सहस्त्रनाम का पाठ करें। दक्षिणावर्ती शंख  दूध भरकर श्रीयंत्र का अभिषेक करें।  कहते हैं जब एक बार माँ लक्ष्मी रूठकर चली गयीं तो  धनतेरस के दिन ही गुरू बृहस्पति के नेतृत्व में निर्मित श्री यंत्र की स्थापना करके विधिवत पूजा शुरू की गयी। देवी लक्ष्मी दीपावली के दिन प्रकट हुई और कहने लगी, श्रीयंत्र की पूजा के कारण मुझे विवश होकर आना पड़ा। अब मैं आप सभी से प्रसन्न हूं, पृथ्वीवासी अब मेरी कृपा से धन समृद्घि प्राप्त कर सकेंगे।

धनतेरस के दिन श्री लक्ष्मी  पूजन

माता लक्ष्मी की सामान्य पूजा उपचारों गंध, अक्षत, फूल, फल अर्पित कर धूप और घी का दीप (घी का दीपक पूरी रात जल सके) लगाने के बाद लक्ष्मी स्तुति का पाठ करें। माँ लक्ष्मी को बताशा, पान, मखाना या मखाने की खीर, सिंगाड़ा फल जरूर अर्पित करें। बाद में स्वयं भी प्रसाद रूप में ग्रहण करें।

नमस्तेस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते।
शंखचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मी नमोस्तुते।।
नमस्ते गरुडारूढ़े कोलासुरभयंकरि।
सर्वपापहरे देवी महालक्ष्मी नमोस्तुते।।
सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्टभयंकरि।
सर्वदु:खहरे देवी महालक्ष्मी नमोस्तुते।।
सिद्धिबुद्धिप्रदे देवी महालक्ष्मी भुक्ति-मुक्तिप्रदायिनी।
मंत्रपूते सदादेवी महालक्ष्मी नमोस्तुते।।

“ॐ ह्रीं श्रीं ऐं क्लीं महालक्ष्मी मम गृहे आगच्छ आगच्छ ॐ स्वाहा” इस मंत्र का धनतेरस से दिवाली तक सुन्दर चमकदार स्फटिक की माला से प्रतिदिन जप करें। श्वेत रेशमी वस्त्र का आसन हो तथा मुख पूर्व अथवा उत्तर की तरफ हो

ताम्‍बे की तश्‍तरी पर चावल से अष्‍टदल कमल बनायें और उसके बीच में लक्ष्‍मी चरण रखें। अब इस थाली को पूजाघर में रख दें। धनतेरस के दिन से दीवाली तक रोज़ाना सुबह-शाम लक्ष्‍मी माता की आरती करें। दक्षिणावर्ती शंख में जल डालकर पूरे घर में छिड़कें।

मां लक्ष्मी की प्रतिमा के सामने नौ बत्तियों वाला दीपक जलाएं।

धन लाभ के लिए माँ लक्ष्मी के सामने मोंगरे या चमेली का पुष्प जरूर चढ़ाएं।

धनतेरस के दिन दीपदान

पहले बताई विधि के अनुसार यमदीपदान करें।

निर्धनता दूर करने के लिए अपने पूजाघर मैं धनतेरस की शाम को अखंड दीपक जलाना चाहिए जो दीपावली की रात तक जरूर जलता रह. अगर दीपक भैयादूज तक अखंड जलता रहे तो घर के सारे वास्तु दोष भी समाप्त हो जाते हैं.

घर के ईशान कोण में गाय के घी का दीपक लगाएं। बत्ती में रुई के स्थान पर लाल रंग के धागे का उपयोग करें साथ ही दीए में थोड़ी सी केसर भी डाल दें।

घर के तेल का दीपक प्रज्वलित करें तथा उसमें दो काली गुंजा डाल दें, गन्धादि से पूजन करके अपने घर के मुख्य द्वार पर अन्न की ढ़ेरी पर रख दें। साल भर आर्थिक अनुकूलता बनी रहेगी। स्मरण रहे वह दीप रातभर जलते रहना चाहिये, बुझना नहीं चाहिये ।

धनतेरस के दिन अन्य बातें

धनतेरस के दिन यदि घर पर छिपकली दिख जाये तो यह समझे की पूरे वर्ष आपके घर पर धन की कमी नहीं होगी

आज सांयकाल हनुमान जी की आरती करें। दीपक में सरसों का तेल हो और उसमें एक जोड़ा लौंग भौम प्रदोष और धनतेरस के संयोग पर ऋणमुक्ति के लिए ऋण मोचक अङ्गारक स्तोत्र,  श्रीनृसिंह ऋणमोचन स्तोत्र, तथा ऋण मोचन महागणपति स्तोत्र का पाठ करें।

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Gyanchand Bundiwal
Gyanchand Bundiwal

Gemologist, Astrologer. Owner at Gems For Everyone and Koti Devi Devta.

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