ग्रह देव बुध की आराधना उनकी पूजा से जीवन में सर्वोच्च बुद्धि, तर्क शक्ति, हाजिर जवाबी, वाक्पटुता, संसार के हर विषय का ज्ञान, लेखन कला, गायन कला, हास्य विनोद, व्यापार की समझ, किसी भी चीज को याद रखना, शिक्षा, व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त होता है। ज्योतिष शास्त्र में बुध को वाणी का कारक ग्रह कहा गया है, इनको कुमार की संज्ञा दी गयी है, हम सभी के अन्दर एक बच्चा होता है जो हर पल जिज्ञासु होता है, नित नयी – नयी चीजें सीखने का इक्षुक होना, हर चीज के लिए सवाल करना खिलंदरापन मस्ती करना- मजाक करना खुश रहना आदि। अगर जीवन में उपरोक्त चीजें न हों तो जीवन ठहर सा जाता है।
कुंडली में अगर बुध शुभ हुआ तो व्यक्ति इन सभी चीजों में निपुण होता है इनका सुख उसे मिलता है, वह उच्च शिक्षित होता है और अपनी प्राप्त की हुई शिक्षा का जीवन में उपयोग कर पाता है। वह जीवन को आनंदमय तरीके से जीता है। पर अगर संयोग बस कुंडली में बुध पीड़ित है तो उसकी शिक्षा अधूरी रह जाएगी, व्यापार में सफलता नहीं मिल पायेगी, समय पर बुद्धि काम नहीं देगी, ऐसे में बुध की पूजा आराधना आवश्यक हो जाती है अब सवाल उठता है ग्रह देव बुध को किस मंत्र अथवा उपाय से प्रसन्न किया जाये, क्या दान किया जाये, क्या पाठ किया जाये, जिनसे उनके शुभ फल प्राप्त हों।
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जानिये:
बुध देव की प्रसन्नता हेतु कौन से मंत्र का जप-पूजा करें?
बुध देव की प्रसन्नता हेतु कौन से दान करें?
कुंडली में बुध की शुभ-अशुभ स्थिति में कौन से उपाय करें जिनसे उनके शुभ फल प्राप्त कर सकते है?
निचे दिए गए किसी भी मंत्र द्वारा बुध ग्रह का शुभ फल प्राप्त किया जा सकता है, इनमें से एक अथवा कई उपाय एक साथ किए जा सकते है यह अपनी श्रद्धा पर निर्भर करता है। यह सभी आजमाए हुए फलित उपाय है।
बुध ग्रह के सम्पूर्ण मंत्र
बुध ग्रह पौराणिक मंत्र
ॐ प्रियङ्गुलिकाश्यामं रूपेणाप्रतिमं बुधम्।सौम्यं सौम्यगुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम्।।
बुध ग्रह का गायत्री मंत्र
ॐ सौम्यरुपाय विद्महे वाणेशाय धीमहि तन्नौ सौम्यः प्रचोदयात् ।।
बुध ग्रह का वैदिक मंत्र
ॐ उदबुध्यस्वाग्ने प्रति जागृहि त्वमिष्टापूर्ते स सृजेथामयं च
अस्मिन्त्सधस्थे अध्युत्तरस्मिन् विश्वेदेवा यजमानश्च सीदत।।
बुध ग्रह का बीज मंत्र
ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः।।
जप संख्या – 9000
समय: शुक्ल पक्ष में बुध की होरा में
बुध ग्रह का तांत्रिक मंत्र
ॐ बुं बुधाय नमः
बुध ग्रह पूजा मंत्र
ॐ ऐं स्त्रीं श्रीं बुधाय नमः।।
यह मंत्र बोलते हुए बुध प्रतिमा अथवा बुध यंत्र का पूजन करें।
बुध ग्रह का दान
ग्रह देव बुध का दिन होता है बुधवार और इनका रंग होता है हरा। अतः इस दिन श्रद्धा भाव से हरा वस्त्र, हरी सब्जी, मूंग की दाल, हरे फल, गन्ना, हरी इलायची, कांसे के बर्तन, बुध रत्न पन्ना, हरा कपडा, हरी सब्जियां, हरे रंग का कददू, 5 हरे फल, हरे फूल, संभव हो तो दुधारू बकरी यह सब किसी पढ़ने वाले गरीब विद्यार्थी अथवा नौजवान ब्राह्मण को देना चाहिए । हरे रंग की चूड़ी और वस्त्र का दान किन्नरों को देना भी इस ग्रह दशा में श्रेष्ठ होता है। इन सभी वस्तुओं के दान के लिए ज्योतिषशास्त्र में बुधवार के दिन दोपहर का समय उपयुक्त माना गया है।
ध्यान दे – कर्ज और उधार लेकर कभी दान न दें तथा जो व्यक्ति श्रम करने के योग्य होकर भी भीख मांगते हैं ऐसे लोगों को भूलकर भी दान नहीं देना चाहिए।
बुध ग्रह का व्रत
जब भी बुधवार का व्रत करना हो तो सर्वप्रथम किसी भी शुक्ल पक्ष के बुधवार से शुरू करें, सबसे पहले स्नान आदि से निवृत होकर किसी हरे रंग के आसन पर उत्तर की तरफ अथवा पूर्व की दिशा की तरफ मुंह कर के बैठ जाए, ग्रह देव बुध का ध्यान करें उनका यंत्र सामने रख लें तो अति उत्तम, अब अपने दाहिने हाथ में शुद्ध जल ले लें और उनसे अपनी मनोकामना कहकर संकल्प करें कि हे ग्रह देव बुध मैं अपनी यह मनोकामना लेकर आप की इतने बुधवार का व्रत करने का संकल्प करता हूँ। आप मेंरे मनोरथ पूर्ण करें और मुझे आशीर्वाद दें, यह कह कर हाथ में लिया हुआ जल धरती पर गिरा दें। तत्पश्चात श्रद्धा भाव से बुध देव का पंचोपचार पूजन करें व ऊपर लिखित किसी भी मंत्र का 1, 3, 5, 7, 9, 11 जितना भी संभव हो उतनी माला जप करें। दिन में फला हार कर सकते हैं। संध्या समय भोजन कर सकते हैं भोजन में हरी सब्जी सलाद जरूर शामिल करें। इस प्रकार करने से बुध देव की कृपा व उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
जितना संकल्प लिया था उतना व्रत पूर्ण होने पर व्रत का पारण करना चाहिए, किसी योग्य ब्राह्मण को घर पर बुलाकर भोजन करवाना चाहिए व ग्रह देव बुध की वस्तु दान करनी चाहिए।
बुध ग्रह के कुंडली में शुभ होकर निर्बल होने पर
- बुधवार के दिन एक सच्चा पन्ना चाँदी की अंगूठी में अपनी कनिष्ठिका उंगली में धारण करना शुभ होगा।
- घर में हरे रंग के परदे लगवाने चाहिए और हरे कपडे अवश्य पहनना चाहिए ।
- ब्राह्मणों को दूध में पकाकर खीर भोजन करना चाहिए।
- बुध की दशा में सुधार के लिए विष्णु सहस्रनाम का जाप भी कल्याणकारी कहा गया है।
- बुधवार के दिन शुरू कर के 108 दिन लगातार हरी घास पर नंगे पांव चलने से बुध से होने वाली बीमारियां व् चर्म रोग दूर हो जाते हैं।
- नित्य घर से बाहर जाते समय हरी इलायची अथवा हरी पत्ती खा कर निकलना चाहिए
- रविवार को छोड़कर अन्य दिन नियमित तुलसी में जल देने से बुध की दशा में सुधार होता है।
- अनाथ एवं गरीब छात्रों की सहायता करने से बुध ग्रह से पीड़ित व्यक्तियों को लाभ मिलता है।
- मौसी, बहन, चाची बेटी के प्रति अच्छा व्यवहार बुध ग्रह की दशा से पीड़ित व्यक्ति के लिए कल्याणकारी होता है।
- अपने घर में तुलसी का पौधा अवश्य लगाना चाहिए तथा निरन्तर उसकी देखभाल करनी चाहिए। बुधवार के दिन तुलसी पत्र का सेवन करना चाहिए।
बुध के कुंडली में नीच अथवा अशुभ स्थिति में होने पर
- ज्यादा से ज्यादा बुध का दान करना चाहिए।
- सात दाने हरे रंग की सबूत मूंग, हरा पत्थर, कांसे का गोल टुकड़ा ये सभी चीजें हरे रंग के वस्त्र में लपेटकर बुधवार को बहते पानी में बहाने से बुध का प्रकोप कम होता है। यह सात बुधवार करना चाहिए।
- दुर्गा सप्तशती का पाठ, विष्णु उपासना, तथा भगवान विघ्नहर्ता गणपति देव का पूजन-दर्शन करने से बुध का अशुभ प्रभाव कम हो जाता है।
- गाय को हरी घास और हरी पत्तियां खिलानी चाहिए।
- बुधवार के दिन गणेशजी के मंदिर में मूँग के लड्डूओं का भोग लगाएँ तथा बच्चों को बाँटें।
- बुधवार के दिन किसी हिजड़े को कुछ न कुछ दान देना चाहिए ।
- पिंजरे का तोता खरीदकर उसे खुले में उडा देना चाहिए ।
इनके अलावा बुध ग्रह से संबंधित कैसी भी परेशानी हो तो निम्नलिखित स्तोत्र का नित्य पाठ करें अगर नित्य संभव न हो तो किसी भी शुक्ल पक्ष के बुधवार से प्रारम्भ कर हर बुधवार को नियम पूर्वक इसका पाठ करें, पद्म पुराण में वर्णित इस पाठ का बहुत ही महत्व है, इससे जीवन में बुध देव से संबंधित उपरोक्त सभी फल प्राप्त होते हैं।
विधि- सर्व प्रथम स्नान आदि से निवृत होकर सफ़ेद आसन पर बैठकर ग्रह देव बुध का ध्यान करें व श्रद्धा पूर्वक पंचोपचार (धुप, गंध / चन्दन, दीप, पुष्प, नैवेद्य इससे किसी भी देवता की पूजा को पंचोपचार पूजन कहते हैं) पूजन करें फिर अपने दाहिने हाथ में जल लेकर विनियोग करें अर्थात निचे दिए गए मंत्र को पढ़ें।
विनियोग का बहुत महत्व है। जैसे – किसी भी मंत्र या स्तोत्र या छंद को जपने, पढ़ने का उद्देश्य क्या है, उसको खोजने वाले, रचना करने वाले ऋषि कौन है आदि, हम विनियोग द्वारा उस मंत्र आदि को अपने कल्याण के लिए उपयोग कर रहे हैं और उसके रचयिता का आभार कर रहे हैं।
विनियोग मंत्र
अस्य श्री बुधपंचविंशति नाम स्तोत्रस्य प्रजापतिऋषि त्रिष्टुपछन्दः बुधो देवता बुध प्रीत्यर्थे पाठे विनियोगः
अपने हाथ का जल धरती पर छोड़ दें और फिर निम्नलिखित पाठ करें।
बुध पंचविंशति नाम स्तोत्र
बुधो बुद्धिमतां श्रेष्ठो बुद्धिदाता धनप्रदः।
प्रियंगुकुलिकाश्यामः कञ्जनेत्रो मनोहरः॥1॥
ग्रहोपमो रौहिणेयः नक्षत्रेशो दयाकरः।
विरुद्धकार्यहन्ता सौम्यो बुद्धिविवर्धनः ॥2॥
चन्द्रात्मजो विष्णुरूपी ज्ञानी ज्ञो ज्ञानिनायकः।
ग्रह्पीडाहरो दारपुत्रधान्यपशुप्रदः ॥3॥
लोकप्रियः सौम्यमूर्तिः गुणदो गुणिवत्सलः।
पञ्चविंशतिनामानि बुधस्यैतानि यः पठेत्॥4॥
स्मृत्वा बुधं सदा तस्य पीडा सर्वा विनश्यति।
तद्दिने वा पठेद्यस्तु लभते स मनोगतम् ॥5॥
।।इति शुभम्।।
बुध देव की स्तुति
जय शशि नन्दन बुध महाराजा,
करहु सकल जन कहं शुभ काजा ।
दीजै बुद्धि बल सुमति सुजाना,
कठिन कष्ट हरि करि कल्याणा ।
हे तारासुत रोहिणी नन्दन,
चन्द्रसुवन दुख द्वन्द्व निकन्दन ।
पूजहिं आस दास कहुं स्वामी,
प्रणत पाल प्रभु नमो नमामी ।
इस तरह आप बुध देव के मंत्र, व्रत और पूजा करके बुध ग्रह को प्रसन्न कर सकते है. कुंडली में दूसरे ग्रहों को प्रसन्न करने के लिए उनके मंत्र, व्रत और पूजा की जानकारी जानने के लिए हमारी ग्रह देव मंत्र एवं उपाय की सूची को देखिये
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- चंद्रमा देव मंत्र एवं उपाय
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