श्री कृष्ण गोविँद

इसे अपने दोस्तों के साथ साझा करें

श्री कृष्ण गोविँद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा 
दर्शन दो घन्श्याम
दर्शन दो घन्श्याम नाथ मोरी अँखियाँ प्यासी रे .. 
मंदिर मंदिर मूरत तेरी फिर भी न दीखे सूरत तेरी . 
युग बीते ना आई मिलन की पूरनमासी रे .. 
दर्शन दो घन्श्याम नाथ मोरि अँखियाँ प्यासी रे ..
द्वार दया का जब तू खोले पंचम सुर में गूंगा बोले .
अंधा देखे लंगड़ा चल कर पँहुचे काशी रे ..
दर्शन दो घन्श्याम नाथ मोरि अँखियाँ प्यासी रे ..
पानी पी कर प्यास बुझाऊँ नैनन को कैसे समजाऊँ .
आँख मिचौली छोड़ो अब तो घट घट वासी रे ..
दर्शन दो घन्श्याम नाथ मोरि अँखियाँ प्यासी रे

इसे अपने दोस्तों के साथ साझा करें
Gyanchand Bundiwal
Gyanchand Bundiwal

Gemologist, Astrologer. Owner at Gems For Everyone and Koti Devi Devta.

Articles: 466